बैठक से 10 मिनट पहले भेजी मेयर को सूचना, चुनिंदा पार्षद को ही भेजा बुलावा

भरतपुर. शहरी सरकार का दफ्तर अब राजनीति का दंगल बनता जा रहा है। हर दिन कोई न कोई विवाद यहां सामने आ ही जाता है। अब मंगलवार को एक और मामला सफाई कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं के संबंध में हुई बैठक से जुड़ा हुआ है। बताते हैं कि इस बैठक में चुनिंदा पार्षदों को ही बुलाया गया। मेयर को ही बैठक से 10 मिनट पहले बैठक के संबंध में पत्र भेजा गया। इससे नाराज मेयर बैठक में ही नहीं पहुंचे। इतना ही नहीं डिप्टी मेयर को भी इस बैठक को लेकर कोई सूचना नहीं भेजी गई।
नगर निगम सभागार में संभागीय श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में कार्यरत स्थायी एवं अस्थायी सफाई कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए बैठक हुई। बैठक में अस्थायी सफाई कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी का समय पर भुगतान, अस्थायी सफाई कर्मचारियों के पीएफ एवं ईएसआई राशि कटौती का नियमित रूप से जमा करने, अस्थायी सफाई कर्मचारी के वेतन का भुगतान सरल एवं सुगम तरीके से सीधे बैंक के माध्यम से किए जाने, सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ एवं सुरक्षा की बेहतरी के प्रभावी उपायों पर विचार, सफाई कर्मचारियों के सामाजिक स्तर को विकसित करने पर विचार आदि पर चर्चा की गई। बैठक में आयुक्त नीलिमा तक्षक ने बताया कि सफाई कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए नगर निगम स्तर पर एक वेलफेयर अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा, जो कि उक्त समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करेगा। बैठक में संवेदकों को कोरोना महामारी के दौरान सभी कार्मिकों को समय पर पीएफ एवं ईएसआई राशि जमा कराने, माह के प्रथम सप्ताह में वेतन देने तथा आवश्यकता अनुसार मास्क, ग्लब्ज, सेनेटाइजर आदि बचाव सामग्री वितरण करने के आदेश दिए। बैठक में पार्षद दीपक मुदगल, हरभान सिंह, भानुप्रताप, संजय शुक्ला, ओमवीर सिंह, श्यामसुंदर गौड़, शिवानी दायमा, योगेश चौधरी, भरतसिंह धाऊ, विष्णु मितल, कलुआराम मीना, प्रकाश, सुरेंद्र कुमार, विधि सलाहकार राजेश मितल, अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रताप चौहान, शहर अध्यक्ष अनिल लाहौरा आदि उपस्थित थे।

पार्षद व आयुक्त के बीच हुई बैठक को लेकर नोंकझोंक

बैठक के दौरान पार्षद मुकेश कुमार पप्पू भी पहुंचे और उन्होंने कहा कि वह बैठक के बारे में पता चलने पर यहां आए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि बैठक में मेयर व डिप्टी मेयर को क्यों नहीं बुलाया गया है। यह बैठक किसके लिए हैं। चुनिंदा पार्षदों को ही बैठक में क्यों बुलाया गया। न्यूनतम मजदूरी व पीएफ का घोटाला पिछले लंबे समय से चल रहा है। अचानक इतनी आवश्यकता कैसे महसूस हुई। एक अन्य पार्षद ने कथित घोटाले को लेकर पार्षद की बात का समर्थन भी किया। जबाव में आयुक्त ने मेयर को बैठक में बुलाने के लिए पत्र भेजना बताया। जब पार्षद ने लगातार सवाल उठाए तो नोंकझोंक की स्थिति आ गई। आयुक्त ने यहां तक कह दिया कि आप शिकायत कर देना।

पीएफ और न्यूनतम मजदूरी के नाम पर होता है शोषण

नगर निगम में पिछले लंबे समय से सफाई ठेका विवादों में ही रहा है। कुछ साल पहले लाखों रुपए का पीएफ घोटाला होने पर मामला न्यायालय तक चला गया था। अब भी कुछ पार्षदों की ओर से आरोप लगाया गया था कि ठेकेदारों की ओर से सभी अस्थायी सफाई कर्मचारियों का पीएफ जमा नहीं कराया जा रहा है। हकीकत यह है कि नियम के अनुसार पीएफ का चालान जमा कराने पर ही ठेकेदार को भुगतान किया जाना चाहिए। दो साल पहले जनता आंदोलन समिति की ओर से भी इन्हीं मामलों को लेकर सफाई कर्मचारियों की मांगों को लेकर आंदोलन किया था। तब भी पीएफ व ऑनलाइन भुगतान के नाम पर भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ था।

-नगर निगम एक परिवार की तरह है। चुनिंदा पार्षदों को ही बुलाना ठीक नहीं है। इससे गलत संदेश जाता है। मेरे पास ही कुछ देर पहले कर्मचारी बैठक की सूचनार्थ प्रति लेकर आया था। जब अन्य को एक-दो दिन पहले ही सूचना भेजी गई तो मेरे पास भेजने में क्या हो गया था। यह कृत्य नगर निगम में समूह बनाने से कम नहीं है।

अभिजीत कुमार
मेयर नगर निगम

-मुझे बैठक के संबंध में कोई पत्र नहीं आया। पता यह भी चला है कि चुनिंदा पार्षदों को ही बुलाया गया। यह गलत है, सभी 65 पार्षद उन सभी वार्डों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नगर निगम प्रशासन का यह रवैया किसी भी मायने में ठीक नहीं है।

गिरीश चौधरी
डिप्टी मेयर नगर निगम



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/call-was-sent-to-selected-councilor-only-6217207/

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