सिमको के पूर्व कर्मचारी: घर में था मानसिक रोगी भाई, प्रबंधन ने जबरन तोड़ा आवास

भरतपुर. दशकों से भरतपुर में चुनावी मुद्दा बनती रही सिमको कंपनी का मामला एक बार फिर विवादों में है। असल में इसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे को दोषी बताकर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बुधवार को भी सिमको के क्वार्टरों को तोडऩे को लेकर विवाद की स्थिति बन गई। पूर्व कर्मचारियों व ठेकेदार के बीच विवाद हुआ। जिला कलक्टर के आदेश पर एसडीएम संजय गोयल व तहसीलदार सिमको फैक्ट्री पहुंचे, जहां सिमको प्रबंधन से कथित जर्जर क्वार्टरों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। उल्लेखनीय है कि उन क्र्वाटरों में रहने वाले पूर्व कर्मचारियों की ओर से सिमको प्रबंधन के खिलाफ जबरन आवासों को तोडऩे व बकाया वेतन नहीं देने का आरोप लगाते हुए उद्योगनगर थाने में मामला दर्ज कराया जा चुका है। हालांकि यह मुद्दा अब भी सिमको प्रबंधन व प्रशासन के बीच पहेली बना हुआ है। चूंकि कोई भी अधिकारी इस मामले को लेकर स्पष्ट रूप से बोलने के लिए तैयार नहीं है। जबकि खुद सिमको प्रबंधन भी प्रकरण में बात करने से कतरा रहा है।
जानकारी के अनुसार 60 साल पहले प्रमुख उद्योग सेंट्रल इंडिया मशीनरी मैन्यू फैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड को राज्य सरकार की ओर से करीब 528 बीघा भूमि आवंटित कर उद्योग स्थापित किया गया था। इस उद्योग में करीब तीन हजार श्रमिक स्थाई व 10 हजार श्रमिक अस्थायी के रूप में कार्यरत थे। इसके कारण बेरोजगारी का आंकड़ा भरतपुर में बहुत कम था। वर्ष 2000 से पहले फैक्ट्री प्रबंधन की लापरवाही के कारण कई बार फैक्ट्री बंद हुई। समझौते के बाद चालू भी हुई। वर्ष 2008 में कंपनी का संचालन टीटागढ़ बैगन्र्स लिमिटेड को दिया गया। इसका मूल कार्यालय कलकता ही रहा। वर्ष 2015 में फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से लीज डीड पर आवंटित 528 बीघा जमीन को फ्री होल्ड कराने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर कार्रवाई करने का दावा किया जा रहा है। 30 अप्रेल 2015 को तत्कालीन जिला कलक्टर के सामने इस संबंध में प्रस्ताव भी दिया गया था। यह आवंटित जमीन छह हजार रुपए सालाना के हिसाब से 99 वर्ष के लिए सिमको को लीज पर औद्योगिक उत्पादन के लिए दी गई। दोपहर को एसडीएम संजय गोयल व तहसीलदार मौके पर पहुंचे और जांच की। इधर, सिमको के पूर्व कर्मचारियों ने जबरन क्वार्टरों को तोडऩे का आरोप लगाया है। जब इस प्रकरण को लेकर सिमको के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सभी दस्तावेज साक्ष्य के साथ जिला कलक्टर को सुपुर्द किए जा चुके हैं।

साहब...सालों से घर और किस्मत दोनों पर ही छाया है अंधेरा

सिमको के पूर्व कर्मचारी गव्वर सिंह, कप्तान सिंह, छत्तर सिंह, कैलाश यादव, मंगली, चरणसिंह, अशोक, हरि, रमाशंकर, प्रभुनारायण, अजयपाल ने बताया कि अब तक उनका पूरा हिसाब तक नहीं किया गया है। कुछ कर्मचारी अब भी काम कर रहे हैं। अब तो 70 कर्मचारी बचे हुए हैं। 12-13 पुराने व बाकी नए कर्मचारी है। पिछले काफी सालों से अंधेरे में ही रह रहे हैं। 95 हजार रुपए इक_ा कर बिजली कनेक्शन कराने की कोशिश की तो सिमको प्रबंधन ने कनेक्शन नहीं होने दिया। अजयपाल ने बताया कि 17 जुलाई से क्वार्टर पर ताला लगा हुआ था। उसे भी तुड़वा दिया गया है। बड़ा भाई राजकुमार मानसिक रोग से पीडि़त था। उसे भी घर से बाहर निकाल दियाग या। यहां 400 मकान थे, सिर्फ 100 मकान रह गए हैं।

जो यूनियन की बैठक में पहुंचे, उनको भी नौकरी से निकाला

बताते हैं कि सिमको के पूर्व व वर्तमान कर्मचारियों के बकाया भुगतान समेत विभिन्न समस्याओं को लेकर सिमको बचाओ संघर्ष समिति की ओर से विरोध व्यक्त किया जा रहा है। इस बैठक में जो भी कर्मचारी शामिल होने के लिए पहुंचते हैं, उनकी मुखबिरी कराते हुए पहचान कर सिमको प्रबंधन की ओर से उन्हें ही नौकरी से निकाल दिया जाता है। विजय सिंह, मोहनस्वरूप, रिंकू, संतकुमार, गजराज सिंह, मनोज सारी यूनियन की बैठक में आए थे तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया। लॉकडाउन के दौरान भी काफी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। हकीकत यह है कि कर्मचारियों की ओर से इसकी शिकायत भी प्रशासनिक अधिकारियों से की थी, क्योंकि केंद्र सरकार लॉकडाउन के दौरान किसी भी प्राइवेट संस्थान के कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकालने का आदेश दिया था।


-सिमको प्रबंधन की ओर से उनके क्र्वाटरों के जर्जर होने व अवैध रूप से लोगों के रहने की शिकायत की है। इस संबंध में प्रकरण की जांच की जा रही है। जहां क्वार्टर बने हुए हैं, वह भूमि सिमको प्रबंधन के आधिपत्य की है।
नथमल डिडेल
जिला कलक्टर

-यह सबकुछ आवंटित जमीन को खुर्द बुर्द करने के लिए किया जा रहा है। यह सब स्थानीय प्रशासन व राजनेताओं को भी मालूम है। यह सभी कर्मचारी एफआइआर भी दर्ज करा चुके हैं। प्रशासन को चाहिए कि कर्मचारियों का पक्ष जानकार उसकी जांच कराकर कार्रवाई करे।
कृपालसिंह ठेनुआ
अध्यक्ष भारतीय श्रमिक संगठन सिमको



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/management-forcibly-broke-housing-6304572/

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