126 साल बाद ऐसा योग...गणेश चतुर्थी पर सूर्य सिंह व मेष राशि में होंगे मंगल

भरतपुर. इस बार 22 अगस्त को गणेशोत्सव की शुरुआत हो रही है। इस साल गणेश चतुर्थी पर सूर्य सिंह राशि में रहेंगे और मंगल मेष राशि में रहेगा। गणेश उत्सव की शुरुआत में सूर्य-मंगल का यह योग 126 साल पहले बना था। बताते हंै कि 1893 में पहली बार बालगंगाधर तिलक ने 10 दिवसीय गणेश उत्सव सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की थी। उस समय भी सूर्य अपनी सिंह राशि में और मंगल खुद की मेष राशि में स्थित था। इस बार 126 साल बाद ऐसा हो रहा है जब गणेश उत्सव पर सूर्य और मंगल अपनी-अपनी स्वामित्व वाली राशि में रहेंगे और घर-घर गणपति विराजेंगे। इस बार गणेश उत्सव पर चार ग्रह सूर्य सिंह राशि में, मंगल मेष में, गुरु धनु में और शनि मकर में रहेगा। ये चारों ग्रह अपनी-अपनी स्वामित्व वाली राशियों में रहेंगे। इन ग्रह योगों में गणेश उत्सव की शुरूआत भारत के लिए शुभ रहने वाली है। सभी ग्रहों की अनुकूलता और स्वतंत्र भारत की राशि कर्क के लिए समय श्रेष्ठ रहेगा। गुरु धनु में होने से यह संयोग ओर भी बेहतर बनेगा। व्यापार उन्नति करेगा और विश्व में देश का वर्चस्व बढ़ेगा। कामवन शोध संस्थान के निदेशक डॉ. रमेशचंद्र मिश्र ने बताया कि गणेशोत्सव चित्रा नक्षत्र में शुरू होता है, इसके स्वामी मंगल हैं। इसी वजह से मंगल ग्रह वार मंगलवार को भी गणेश जी का विशेष पूजन करने की परंपरा है। चित्रा नक्षत्र का पहला चरण कन्या राशि का होता है, इसका स्वामी बुध है। इस कारण बुध ग्रह के वार बुधवार को गणेश जी की पूजा खासतौर पर की जाती है।

जानिए... सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा गणेश उत्सव

कुंभ: शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी और संतान भी अनुकूल रहेगी। धार्मिक कार्य करने का मौका मिलेगा।
मीन: गणेश जी और लक्ष्मीजी की विशेष प्रसन्नता प्राप्त हो सकती है। किसी भी सौदे को हल्के में न लें और मन लगाकर काम करने पर निश्चित लाभ मिलेगा।
मेष: इस राशि के लोगों को लाभ प्राप्त होंगे। घर-परिवार में खुशियां बनी रहेंगी। संतान से सहयोग मिलेगा।
वृषभ: विवादों में विजय मिलेगी और गणेशजी के सेवा करने से कोई अटका हुआ काम अवश्य पूरा होगा। मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा।
मिथुन: घर और बाहर सभी जगहों पर सम्मान प्राप्त होगा। जिम्मेदारियों में वृद्धि होगी और धन की प्राप्ति सुगम होगी। जोखिमपूर्ण निवेश और काम नहीं करें।
कर्क: आधुनिक सुख सुविधाओं को प्राप्त करेंगे और किसी बड़े काम के बन से जाने से सुख प्राप्त होगा। विवाह प्रस्ताव मिलेंगे।
सिंह: सोचे हुए काम बनेंगे। कोई विशेष उपलब्धि प्राप्त होगी। विदेश जाने की इच्छा रखने वालों को सफलता मिलेगी।
कन्या: खोए हुए धन एवं नुकसान की पूर्ति हो सकती है। धार्मिक यात्रा का योग बनेगा और किसी बड़े आय देने वाले कार्य की स्थापना होगी।
तुला: यह राशि खराब दौर से गुजर रही थी, लेकिन अब वह अच्छे समय की ओर जा रही है। प्रसन्नतादायक समाचार की प्राप्ति होगी और संतान से सुख मिलेगा।
वृश्चिक: गणेश उत्सव के अंतिम दिनों में कोई बड़ी खुशखबरी प्राप्त होगी। जमीन संबंधी लाभ होने की संभावना है। धन की समस्या भी दूर होगी।
धनु: नुकसान पहुंचाने वालों को खोजने में सफल होंगे और शत्रुओं का नाश करने में सफल होंगे। जीवन साथी से प्रसन्नता प्राप्त होगी। सम्मान मिलेगा।
मकर: यह समय अच्छा रहेगा और कीर्ति में वृद्धि होगी। नए वस्त्र-आभूषणों की प्राप्ति होगी। योजनाएं सफल होंगी।

जानिए ये भी... प्रतिमा स्थापना के शुभ मुहूर्त

-घर में स्थापना के लिए सुबह 7.30 से 9 बजे तक।
-दुकान और ऑफिस के लिए दोपहर 1.30 से 4.30 बजे तक।
-विद्यार्थियों और पांडाल में स्थापना के मुहूर्त शाम छह से 7.30 बजे तक।

29 साल से महाराष्ट्र की शैली में मना रहे गणेश उत्सव

भरतपुर. बजरंग सेवक ट्रस्ट का गठन सन 1981 में कृष्ण कुमार गर्ग, श्याम सुन्दर, महेन्द्र सिंघल व हरीश मलिक मात्र चार भक्तों की ओर से हुआ। नियमित दर्शनार्थी होने के कारण इनका गणेशजी के मंदिर पर मिल बैठना शुरू हो गया। रामनवमी के अवसर पर प्रसिद्ध बौरई वाले हनुमान जी मंदिर पर अखंड रामायण पाठ व फूल-बंगला झांकी का आयोजन बजरंग सेवक ट्रस्ट के बैनर तले करना प्रारम्भ किया। छह वर्ष तक निरंतर यह कार्यक्रम चलते रहे। अटलबंध स्थित गणेश जी के मंदिर पर एक भव्य फूल-बंगला झांकी का आयोजन प्रति वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर बजरंग सेवक ट्रस्ट के भक्तों की ओर से किया जाने लगा। गणेशजी की प्रतिमा अति प्राचीन होने के कारण लोगों की आस्था तो पहले से ही जुड़ी हुई थी तथा अनेक दर्शनार्थी सुबह-शाम दर्शन करने नियमित आते थे। उस समय गणेश जी की प्रतिमा मात्र एक जीर्ण-शीर्ण से आले (हटरी) में विराजमान थी। श्री बजरंग सेवक ट्रस्ट की ओर से करीब 140 से अधिक सदस्यों की सक्रिय भागीदारी से प्रतिवर्ष यहां पर महाराष्ट्रियन शैली में गणेशोत्सव मनाना शुरू किया गया। इसमें फूल बंगला झांकी व गणेश विसर्जन के साथ ही नए-नए कार्यक्रम जुड़ते गए। पूर्व वर्षों में समारोह का विस्तार करते हुए दो बार सात दिवसीय भागवत कथा (2009 व 2015) तथा नौ दिवसीय राम कथा (2010) का आयोजन किया गया। इस वर्ष ट्रस्ट की ओर से 30वें गणेश महोत्सव का आयोजन कोरोना महामारी के चलते हुए बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर किया जाने का निर्णय लिया गया है।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/sun-will-be-in-sun-and-aries-sign-on-ganesh-chaturthi-6352868/

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