मेडिकल कॉलेज में अब प्लाज्मा थैरेपी से किया जाएगा कोरोना मरीजों का इलाज

भरतपुर. अब जल्द ही मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीजों का प्लाज्मा थैरेपी से इलाज किया जा सकेगा। यह जिलेवासियों के अच्छी खबर है कि अब गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी से इलाज कराने के लिए जयपुर, दिल्ली या अन्य राज्यों के अस्पतालों में नहीं जाना पड़़ेगा। चूंकि पिछले कुछ माह के दौरान सामने आया है कि गंभीर कोरोना मरीजों के उपचार में प्लाज्मा थैरेपी कारगर साबित हुई है।
प्लाज्मा थेरेपी में ऐसे लोगों से रक्त लिया जाएगा जो कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। कोरोना से ठीक हुए उन्हीं लोगों का सैंपल लिया जाएगा, जिन्हें हाइपरटेंशन, मधुमेह व कोई अन्य बीमारियां नहीं होगी। एक व्यक्ति से 300 से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जाएगा। ऐसे व्यक्ति के रक्त से प्लाज्मा लेकर नए मरीज को देने पर डोनर के रक्त में मौजूद एंटीबॉडी मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को न्यूट्रलाइज कर देगी। इस विधि में आधुनिक टेक्नोलॉजी युक्त मशीन से डोनर के शरीर में मौजूद खून से प्लाज्मा बाहर आता है और रेड ब्लड सेल (आरबीसी) व व्हाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) मरीज के शरीर में वापस चले जाते हैं, जिसे प्लाज्मा फेरेसिस कहा जाता है।
इधर, आरबीएम चिकित्सालय में कोविड पीडि़त रोगियों को बेड पर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए 150 शय्याओं पर हाइपो ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम शुरू किया गया है। राज्य में कोरोना पीडि़त रोगियों के प्लाज्मा थैरेपी से मिले बेहतर एवं शीघ्र परिणामों को देखते हुए भरतपुर में भी इसकी सुविधा शुरू कराई गई है। मेडिकल कॉलेज एवं आरबीएम चिकित्सालय में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तारीकरण के लिए 111 करोड़ 60 लाख रुपए स्वीकृत कराए हैं। इस स्वीकृत राशि से मेडिकल कॉलेज व हॉस्पीटल में नवीन निर्माण, आवश्यक व आधुनिक मशीनों की उपलब्धता एवं सुपर स्पेशलिस्ट सेवाओं का शुभारम्भ होगा।

क्या है प्लाज्मा थैरेपी

ऐसे मरीज जो हाल ही में बीमारी से उबरे हैं उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है जो ताउम्र रहते हैं। ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं। इसे दवा में तब्दील करने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में इनसे एंटीबॉडीज निकाली जाती हैं। ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती हैं इसे प्लाज्मा डेराइव्ड थैरेपी कहते हैं। यह मरीज के शरीर को तब तक रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाता है जब तक उसका शरीर खुद ये तैयार करने के लायक न बन जाए।

क्योंकि...पहले भी कारगर हो चुकी है प्लाज्मा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी को पहले भी कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 2002 में सार्स वायरस से निपटने व 2009 में एच1एन1 इंफेक्शन रोकने और 2014 में इबोला जैसे खतरनाक वायरस को मिटाने के लिए भी किया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी कराने का सबसे बड़ा लाभ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। थैरेपी के बाद संक्रमित की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है इससे ठीक होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

-प्लाज्मा थैरेपी की सुविधा कोराना संक्रमितों को मिल सकेगी। इसके अलावा भरतपुर के मेडिकल कॉलेज के लिए 112 करोड़ रुपए स्वीकृत कराए गए हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री व चिकित्सा मंत्री से भी मिलकर बजट के बारे में अवगत कराया गया था। इससे काफी हद तक मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का विस्तार किया जा सकेगा। साथ ही जिले के मरीजों को भी बड़ा लाभ मिलेगा।
डॉ. सुभाष गर्ग
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/corona-patients-will-be-treated-with-plasma-therapy-6353429/

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