ब्लेकमेलर कौन...भरतपुर के नाम से काम लेकर कोलकाता में क्यों करा रहे वैगन निर्माण

भरतपुर. पिछले दिनों राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग की ओर से सिमको बचाओ संघर्ष समिति के आंदोलन को लेकर ब्लेकमेलर कहने के मामले के बाद अब पदाधिकारियों ने बुधवार को निशाना साधा है। समिति के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉफ्रेंस कर आरोप लगाया कि मंत्री को चाहिए कि वह नाम लेकर ब्लेकमेलर का नाम उजागर करें। इसके लिए लक्ष्मण मंदिर पर वह आम जनता के बीच बैठक करने को भी तैयार है, अन्यथा माफी मांगी जाए। जिन्हें वह ब्लेकमेलर कह रहे हैं वो सभी आमजन के बीच सिमको के मामले को लेकर साक्ष्यों के साथ बहस करने को भी तैयार है।
सामाजिक कार्यकर्ता गिरधारी तिवारी ने कहा कि यह जानना चाहते हैं कि जब फैक्ट्री को चलाना चाहते हैं तो सिमको के दोनों स्कूलों के भवनों को जर्जर बताकर क्यों तोड़ा गया। स्कूल के खेल मैदान को क्यों जगह-जगह से खोदा गया। क्वार्टरों को क्यों तोड़ा गया। फैक्ट्री में से स्थानीय मजदूरों को क्यों निकाला गया। ब्लेकमेलर तो यहां के तमाम पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी हैं तैनात किए गए हैं। सिमको के पूर्व मजदूरों का भुगतान क्यों नहीं किया गया। पांच मार्च 2008 के समझौते के अनुसार 2008 से लेकर 2020 तक 1758 मजदूरों को स्थायी नौकरी में क्यों नहीं लिया गया। सिमको लिमिटेड भरतपुर के नाम से वैगन निर्माण के आदेशों के अनुसार भरतपुर में निर्माण न कराकर कोलकाता में क्यों कराया जा रहा है। इससे राजस्थान सरकार को कर के रूप में हो रही क्षति के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। आज तक सिमको वैगन लिमिटेड के पक्ष में 24 अगस्त 1966 को औद्योगिक भू आवंटन अधिनियम 1959 के तहत निष्पादित कराई गई लीज डीड की शर्तों की अवहेलना करने व राजस्व रिकार्ड में राज्य सरकार के स्थान पर गलत तरीके से भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 82 के विरुद्ध राजस्व रिकॉर्ड में मालिक खाते में राज्य सरकार के नाम न होकर सिमको का नाम क्यों लिखा हुआ है। नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष इंद्रजीत भारद्वाज ने कहा कि लीज डीड में 470 बीघा एक बिस्वा भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन के अलावा 18 स्कूल अतिरिक्त व्यवसायिक कार्य में कैसे ली जा रही है। इसका ऑडिट पैरा राज्य सरकार के पास उपलब्ध है और किस आधार पर लीज डीड की जमीन को शर्तों के विपरीत टीटागढ़ एग्रो कंपनी को 2014 से 2017 तक सबलैट किया गया। इसकी शिकायत जिला प्रशासन को करने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

आखिर कब तक आएगी इसी जमीन पर बड़ी कंपनी

समिति के संयोजक कृपाल सिंह ठैनुआ ने कहा कि नई बड़ी कंपनी कितने में दिन में स्थापित हो जाएगी। यह स्पष्ट होना चाहिए। उसमें कितने पुराने व नए श्रमिक राजस्थान राज्य के कार्यकर पाएंगे। कौन सी कंपनी है। सरकार के स्तर पर कहां पर विचाराधीन है। उसकी क्या प्रोजेक्ट रिपोर्ट है। उक्त सभी जानकारी जनता के सामने रखी जानी चाहिए। उप संयोजक अशोक कुमार जैन ने कहा कि पांच मार्च 2008 की पालना कराते हुए उच्चस्तरीय जांच कराते हुए सिमको दुबारा चालू किया जाना चाहिए। फुटबॉल संघ के जिलाध्यक्ष अरविंदपाल सिंह ने कहा कि खेल मैदान को यथा स्थिति में लाया जाना चाहिए। पहले माना जा रहा था कि सिमको प्रशासन बैकफुट पर आ चुका है, लेकिन यहां अब भी मिलीभगत कर खेल मैदान को खराब कर दिया गया है, लेकिन खिलाडिय़ों के हितों पर कुठाराघात है।

विवाद की असल वजह ये...

सिमको वैगन फैक्ट्री को लेकर पिछले करीब तीन माह से भी अधिक समय से आंदोलन व विवाद हो रहा है। पिछले दिनों राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने भरतपुर के एक दिवसीय दौरे के तहत स्पष्ट तौर पर कहा था कि कुछ ब्लेकमेलर सिमको को बंद कराना चाहते हैं। उसी बयान के बाद अब फिर से मामला सुर्खियों में आ गया है। जहां सिमको बचाओ संघर्ष समिति का आरोप है कि कंपनी जमीन को खुदबुर्द करना चाहती है तो सिमको वैगन फैक्ट्री/टीटागढ़ कंपनी का प्रशासन कह रहा है कि यहां जल्द ही कोई बड़ा प्रोजेक्ट आएगा, लेकिन अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है आखिर आगामी समय में क्या कुछ नया होने वाला है।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/why-is-wagon-manufacturing-done-in-kolkata-6419524/

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