दबाव बढ़ता देख बैकफुट पर आया प्रशासन, सुनीता को दी 32 हजार रुपए की सहायता

भरतपुर. राजस्थान पत्रिका के आठ दिन के अभियान के बाद आखिर सुनीता को जीत मिल पाई है। दबाव बढ़ता देख बैकफुट पर आए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन ने आनन-फानन में जांच का दावा कर इतिश्री करते हुए महिला सुनीता को 32 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की। इसमें लुपिन संस्था का योगदान सबसे अहम रहा। लुपिन संस्था ने 11 हजार रुपए का चेक व स्टाफ ने 10 हजार रुपए की सहायता दी है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 18 नवम्बर के अंक में शर्मनाक प्लास्टर चढ़ा कर कह दिया बाहर कराओ ऑपरेशन शीर्षक से खबर प्रकाशित की। इसके बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और पीडि़ता महिला की सुनीता की खोज-खबर ली, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला, लेकिन पत्रिका ने तलाश कर महिला से बात कर अस्पताल प्रबंधन के झूठ को उजागर किया था, साथ ही आरबीएम अस्पताल प्रशासन की ओर से बनाई गई झूठी रिपोर्ट का सच भी सामने लाया गया था।
जानकारी के अनुसार जिला कलक्टर नथमल डिडेल के निर्देश के बाद बुधवार सुबह सीएमएचओ डॉ. लक्ष्मण सिंह ने पीसीपीएनडीटी कॉर्डिनेटर प्रवीण कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त कर भेजा। जहां पिछले कई दिन से लगातार जघीना गेट स्थित जिस निजी हॉस्पिटल का नाम लेकर कहा जा रहा था कि सुनीता का ऑपरेशन वहां हुआ था, उस हॉस्पिटल पर जाकर जांच की तो मामला झूठा निकला। निजी हॉस्पिटल के संचालक ने भी संबंधित डॉक्टर व अधिकारियों के उनके अस्पताल का नाम लेकर झूठ बोलने पर आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद जब और जानकारी की तो पता चला कि महिला का ऑपरेशन जघीना गेट स्थित श्रीतेजा मैमोरियल हॉस्पीटल एंड फैक्चर क्लीनिक पर हुआ था। इसका पता चलते ही आनन-फानन में सहायता आदि के बहाने जांच रिपोर्ट की खानापूर्ति करने का भी दौर शुरू हो गया। आश्चर्य की बात यह थी कि जहां अब तक संबंधित विभाग के अधिकारी जिस निजी हॉस्पिटल का नाम ले रहे थे, अचानक उसके बजाय दूसरे निजी हॉस्पिटल का नाम आना भी रहस्य बना हुआ है। इस निजी हॉस्पिटल के संचालक ने प्रमाणित भी किया है कि सुनीता देवी पत्नी किशन सैनी निवासी तकिया मोहल्ला गांव सोंखर अलवर का ऑपरेशन अस्पताल में ही हुआ था। उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए 11 हजार रुपए की सहायता दी जाती है। लुपिन की ओर से अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता के निर्देश पर राजेश शर्मा ने 11 हजार रुपए का चेक स्वयं संस्था व 10 हजार रुपए की सहायता स्टाफ के सहयोग से सुनीता को दी। इस अवसर पर सीएमएचओ डॉ. लक्ष्मण सिंह, लुपिन संस्था के भीमसिंह, राजेंद्र मोहरे, पुनीत गुप्ता, सुनीता नंदवानी, अशोक, करण, मनोज, नरेंद्र गुप्ता, निजी हॉस्पिटल के संचालक डॉ. हेमंत आदि उपस्थित थे। इधर, इस प्रकरण को लेकर जिला कलक्टर को भी दुबारा रिपोर्ट सौंप दी गई है।

आखिर किसने मांगे थे ऑपरेशन के 10 हजार रुपए

लुपिन की ओर से महिला सुनीता को 11 हजार रुपए की सहायता राशि दिए जाना तीन दिन पहले ही तय हो चुका था, लेकिन संस्था ने उससे दोगुना सहायता राशि देकर अच्छी भूमिका निभाई है। दूसरा पहलू यह भी है कि जिस निजी हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद से ही महिला की लगातार खबरें प्रकाशित होने के साथ ही विवाद खड़ा हो रहा था, उसे आठ दिन गुजरने के बाद महिला की कमजोर आर्थिक स्थिति का पता क्यों लगा, आखिर आरबीएम अस्पताल में 10 हजार रुपए ऑपरेशन के नाम पर मांगने वाला कौन था। चर्चा यह भी है कि निजी हॉस्पिटल में आरबीएम अस्पताल के ही किसी एक डॉक्टर के ऑपरेशन करने की बात सामने आ रही है। हालांकि अभी तक जांच का विषय बना हुआ है। इससे पहले भी आरबीएम अस्पताल में दलालों के माध्यम से ऑपरेशन के नाम पर कमीशन वसूलने की शिकायत होती रही है, परंतु जांच के नाम फौरी कार्रवाई कर इतिश्री कर दी जाती है। हालांकि इस प्रकरण में महिला सुनीता का कहना था कि उसे आर्थिक सहायता मिल चुकी है, इसलिए वह अब अपने गांव जा रही है।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/seeing-increasing-pressure-administration-came-on-backfoot-6538964/

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