अवैध खनन से निकला जमीन से पानी लेकिन अफसरों की आंखों में नहीं

भरतपुर. नांगल में जिस स्थान पर अवैध खनन की जांच करीब चार साल पहले कराई गई थी, वहां अब फिर से अवैध खनन का मामला सामने आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप आया है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 26 दिसंबर के अंक में जहां चार साल पहले अवैध खनन की जांच, उसे दबाकर बैठे रहे अफसर शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर खुलासा किया था।
हकीकत यह है कि नांगल सहित अन्य खनन क्षेत्र में कई खानों में खनन करते- करते पानी निकल आया है। कई जगह तो बांध का रूप ले लिया है। वहीं नांगल में खानों मे पानी निकलने की खबर के बाद खनन माफिया कचरा डालकर पानी छिपाने का असफल प्रयास करने में जुट गया है। उधर खनिज विभाग के तैनात अधिकारियों मे हड़कंप मचा हुआ है। अवैध खनन की कार्यवाही के बाद पिट नाप कर थाने में खनन माफियाओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। चोरी गए खनिज की पैमाइश कर जुर्माना लगाने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा नही होता है। अंदाजे से खनिज सामग्री चोरी दिखा दी जाती है। उसके बाद फिर उसी पिट में खनन चोरी होता रहता है। यह सब खनिज विभाग के तैनात अधिकारी की मिलीभगत का खेल चलता रहता है। इसी के कारण नांगल सहित आस पास के खनन क्षेत्र में कई खानों मे पानी निकल आया है। रसूखदारों के दबाव में पिट की नाम मे गड़बड़ी कर जुर्मानों से खनन माफियाओं का बचाने का खेल चलता रहता है। उधर थानों में दर्ज मुकदमों में खनन माफियाओं की गिरफ्तारी नहीं होने से उनके हौंसले बुलंद है। खनन से जुड़े लोगो का कहना है कि धौलेट अवैध खनन के मामले मे जुर्माना एक उच्चाधिकारी की मिलीभगत से कम लगाया गया है। जबकि धौलेट मे अवैध खनन माफियाओं पर 25-30 करोड़ का जुर्माना वसूल किया जाना था। खनन से जुड़े लोगों की मानें तो मेवात के थानो में अवैध खनन के मामलो में नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर एफआइआर में नामजद करने से बचाया जाता है। वहीं विस्फोटक सामग्री में रसूखदारों का हिस्सा होने के कारण महंगी बेची जाती है।

नियमों के अनुसार नहीं होती कार्रवाई

अगर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो नियम है कि खान का पिट मैजरमेंट कराकर खनन किए गए पत्थर और जारी किए गए रवन्ना की गणना कर जांच कराई जाए। खान में विभाग के रिकार्ड और जारी किए गए रवन्ना के हिसाब से कितना खनन किया गया और पिट मैजरमेंट के हिसाब से खनन की गणना कर खान में अधिक मात्रा में किए गए खनन और अवैध खनन की गणना कर संबंधित से वसूली की जानी चाहिए। सीमा में लगे आसपास के क्षेत्र में गणना कर विभागीय दरों से वसूली का प्रावधान है, लेकिन यहां जिले में विभाग सिर्फ खानापूर्ति ही करता है।

सवाल मांगते जबाव

-किन स्टोन क्रशर्स की भूमिका इस प्रकरण में संदिग्ध है।

-किस रसूखदार के इशारे पर अवैध खनन हो रहा है।

-इसमें कौन-कौन अधिकारी दोषी और शामिल है।

-एक बड़े अधिकारी का नाम कैसे आया और वो कौन है।

-आखिर इतने समय तक अफसर क्यों शांत रहे।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/illegal-mining-led-to-water-from-land-but-not-in-the-eyes-of-officers-6595731/

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