परामर्श सरकारी, उपचार प्राइवेट

भरतपुर. कहने को तो आरबीएम चिकित्सालय संभाग के बड़े अस्पतालों में शुमार है, लेकिन यहां कई विभागों की चिकित्सा व्यवस्था चरमराती नजर आती है। कुछ ऐसा ही हाल फिजियोथैरेपी चिकित्सा व्यवस्था का है। अस्पताल में फिजियोथैरेपी चिकित्सा के नाम पर यहां केवल परामर्श मिल रहा है। फिजियोथैरेपी चिकित्सा के काम आने वाली मशीनें कबाड़ का रूप ले चुकी हैं, लेकिन इसके देखने की जहमत अस्पताल प्रशासन नहीं उठा रहा है। इसी का नतीजा है कि मरीज यहां से बिना उपचार के ही लौट रहे हैं।
आलम यह है कि फिजियोथैरेपी के लिए यहां चिकित्सक तो तैनात हैं, लेकिन वह मशीनों के अभाव में उपचार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में मरीजों को यहां सिर्फ परामर्श मिल रहा है। इसके चलते ऐसे मरीजों को अपना उपचार बाहर निजी चिकित्सालयों में पैसा खर्च कर कराना पड़ रहा है। कोरोना काल से पहले चिकित्सालय में ऊपर की बिल्डिंग में फिजियोथैरेपी सेंटर संचालित किया जा रहा था। इसमें मरीजों को परामर्श और उपचार दोनों मिल रहे थे, लेकिन कोविड-19 के दौरान इस सेंटर को पुराने आउटडोर के कमरा नंबर 19 में शिफ्ट कर दिया है। ऐसे में यह सेंटर महज परामर्श केन्द्र बनकर रह गया है। यहां धूल फांंकती मशीनें इसकी कहानी खुद-ब-खुद बयां कर रही हैं।

पांच चिकित्सक, फिर भी नहीं उपकरण

फिजियोथैरेपी सेंटर के नाम पर अस्पताल में पांच चिकित्सक तैनात हैं, जो यहां मरीजों का उपचार करने के लिए लगाए गए हैं, लेकिन बिना मशीन चिकित्सक भी सिर्फ ड्यूटी पूरी करते नजर आ रहे हैं। हालांकि इनमें से कुछ को कोरोना की ड्यूटी में लगा रखा है, लेकिन अस्पताल आने वाले फिजियोथैरेपी के मरीजों को इसका कतई लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यहां संचालित सेंटर सिर्फ मजाक बनकर रह गया है।

इनका कहना है

मशीनों के संबंध में पत्र लिख रखा है। फिजियोथेरेपिस्ट हमारे पास हैं। फिजियोथैरेपी एवं ऑक्युपेशनल थैरेपी जल्द शुरू कराने की व्यवस्था कराई जा रही है।
- नवदीप सैनी, पीएमओ आरबीएम भरतपुर



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/consulting-government-remedies-pvt-6591243/

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