अब राज्य ने भेजी सिफारिशी चिट्ठी, केंद्र सरकार पर छोड़ा फैसला

भरतपुर. भरतपुर-धौलपुर के जाटों को आरक्षण का मामला अब केंद्र सरकार के पाले में पहुंच चुका है, चूंकि राज्य सरकार की ओर से सिफारिशी चिट्ठी केंद्र सरकार को भेज दी गई है। अब आरक्षण का फैसला केंद्र सरकार पर निर्भर है। उल्लेखनीय है कि पिछले करीब तीन वर्ष से जाटों की ओर से केंद्र की सेवाओं में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा था। 25 दिसंबर को महापड़ाव के आह्वान पर जयपुर में हुई वार्ता में तीन मांगों को लेकर सहमति बन गई थी। इसमें केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखने का आश्वासन दिया गया था। जिला कलक्टर नथमल डिडेल ने मंगलवार को भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेमसिंह फौजदार के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल को सिफारिशी पत्र की प्रति सौंपी।
राज्य सरकार की ओर से राष्ट्ररय पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजे गए पत्र में लिखा है कि राजस्थान राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के आधार पर धौलपुर एवं भरतपुर जिले के जाट जाति वर्ग को 23 अगस्त 2017 को जारी अधिसूचना के तहत राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की अधिकृत सूची में शामिल किया गया है, लेकिन केन्द्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में धौलपुर एवं भरतपुर जिलों के जाट जाति वर्ग को शामिल नहीं किए जाने के कारण इन जिलों के जाट समाज के व्यक्तियों को केन्द्रीय सेवाओं एवं शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि दोनों जिलों के जाट जाति वर्ग की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति भी राज्य के अन्य जिलों के जाट जाति वर्ग के समान ही है। राज्य सरकार भौगोलिक आधार पर जाट जाति वर्ग के लिए कोई भेदभाव नहीं करती है। उक्त दोनों जिलों के जाट जाति वर्ग को भी राजस्थान राज्य के लिए केंद्रीय पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल किए जाने संबंधी कार्यवाही की जाए।

अब इन दो मांगों को लेकर चल रही प्रक्रिया

संघर्ष समिति के साथ हुई वार्ता में पिछले आंदोलनों के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने पर सहमति बनी थी। इसमें गृह विभाग की ओर से संबंधित दोनों जिलों से मुकदमों की जानकारी जुटाई जा चुकी है। इसको लेकर जल्द मुकदमा वापस लेने के लिए प्रस्ताव व स्वीकृति जारी की जाएगी। इसके साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने की प्रक्रिया अभी बाकी है।

यह है जाट आरक्षण का मामला

भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाटों को 10 अक्टूबर 2015 में कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के ओबीसी आरक्षण से वंचित कर दिया गया था, लेकिन बाद में आंदोलन के बाद सरकार ने आयोग का गठन कर सर्वे कराया और उस रिपोर्ट के बाद 23 अगस्त 2017 में दोनों जिलों के जाटों को फिर से राज्य में ओबीसी आरक्षण लाभ में शामिल किया जा सका, लेकिन तभी से इन जाटों की केंद्र में ओबीसी में आरक्षण की मांग जारी है। राजस्थान में 33 जिले है इनमें भरतपुर और धौलपुर जिलों को छोड़कर 31 जिलों के जाटों को राज्य व केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण का लाभ मिल रहा है और राज्य में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर भरतपुर व धौलपुर जिलों के जाटों ने वर्ष 2017 में आंदोलन किया था इसके बाद आयोग के सर्वे के बाद दोनों जिलों को राज्य में तो आरक्षण मिल गया लेकिन उनको केंद्र में आरक्षण से वंचित रखा गया और केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर दोनों जिलों के जाट काफी समय से आरक्षण की मांग कर रहे है।

-केंद्र की सेवाओं में आरक्षण की मांग को लेकर काफी समय से प्रयास किए जा रहे थे। सीएम को भी इस मामले से अवगत कराया गया था। यह खुशी की बात है कि अब सरकार ने केंद्र को चि_ी लिख दी है। केंद्र सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इसे स्वीकृत करे।

विश्वेंद्र सिंह
विधायक डीग-कुम्हेर व पूर्व कैबीनेट मंत्री


-राज्य सरकार अभिशंषा पत्र भेज चुकी है। अब केन्द्र सरकार से मांग है कि भरतपुर एवं धौलपुर के जाट जाति वर्ग को राजस्थान सरकार की अभिशंषा के आधार पर केन्द्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करते हुए भौगोलिक आधार पर इस क्षेत्र के जाट समाज के साथ हो रहे भेदभाव को दूर किया जाए।

डॉ. सुभाष गर्ग
राज्यमंत्री तकनीकी एवं संस्कृत शिक्षा


-जिला कलक्टर ने सिफारिशी चिट्टी की प्रति देकर अवगत कराया है। सरकार ने समझौते के तहत चि_ी भेज दी है। अब केंद्र सरकार से भी आरक्षण देने की मांग की जाएगी।

नेमसिंह फौजदार
संयोजक, भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/decision-left-on-central-government-6601789/

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