नाक तले नाजायज निर्माण, कच्ची खाई में पक्की इमारतें

भरतपुर. शहर के सरकूलर रोड पर चार मंजिला इमारत एक दिन में खड़ी नहीं हुई है। नगर निगम भले ही नोटिस के जरिए वाहवाही बटोरने का प्रयास करे, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि नगर निगम की नाक तले नाजायज निर्माण हुआ है। खास बात यह है कि सरकूलर रोड पर जिस जगह निर्माण हुआ है वह सीएफसीडी (कच्ची खाई क्षेत्र) है। इसके बाद भी अनदेखी के चलते आलीशान इमारत खड़ी हो गई, लेकिन निगम की तंद्रा नहीं टूटी। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 25 दिसंबर के अंक में मनमर्जी की नींव पर, मनमाफिक इमारत शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था।
कच्ची खाई क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। जल भराव एवं जल बहाव क्षेत्र के मामले में गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार एवं श्रीनाथ बनाम राज्य सरकार के प्रकरण में यह क्षेत्र निर्माण के लिए प्रतिबंधित है। इस क्षेत्र में से अभी अत्रिकमण नहीं हट सका है। अतिक्रमण हटाने का मामला अनाह गेट पुलिया से गणेशजी मंदिर तक बकाया है। इसमें दोनों ओर एप्रोच रोड प्रस्तावित है। वर्ष 2011 में पांच विभागों ने मिलकर यहां अतिक्रमण की सूची तैयार की थी। इसके तहत दोनों ओर करीब 35 से 40 फीट अतिक्रमण हटना है। इसके लिए बकायादा पूर्व में पूर्व में सर्वे कर चिह्न लगाए गए थे। इसके बाद भी चार मंजिला इमारत का खड़ा होना नगर निगम प्रशासन की अनदेखी को बखूबी बयां करता है।

ले-आउट तक पास नहीं

सूत्रों का दावा है कि सरकूलर रोड से लेकर गणेश मंदिर वाया कुम्हेर गेट से जघीना गेट तक सरकूलर रोड के अंदर बनी कॉलोनियों का ले-आउट तक अभी पास नहीं है। न ही नगर निगम के पास इसका ले-आउट है। जानकारी के मुताबिक नियामानुसार शहर की बजरंग नगर कॉलोनी, जयंती नगर एवं अवध कॉलोनी आदि में नगर निगम बिना ले-आउट कोई काम नहीं करा सकती। इसके बाद भी चार मंजिला इमारत यहां खड़ी हो गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अब तक नगर निगम प्रशासन कहां था। खास बात यह है कि पूर्व में विभागों की ओर से तैयार की गई सूची में बहुतरे अतिक्रमण चिह्नित किए गए। इनमें ज्यादातर भूमि राजस्व रिकॉर्ड में यूआईआईटी के नाम दर्ज मिलीं। वहीं कुछ भूमि गैर मुमकिन नाला सिवायचक थी, जिन पर अब निर्माण हो चुका है, लेकिन अतिक्रमण हटाने की जहमत कोई नहीं उठा रहा है।

इधर, चार जनवरी तक मिला स्टे

सर्राफा बाजार में नगर निगम की ओर से प्रस्तावित अवैध निर्माण तोडऩे के खिलाफ निर्माणकर्ता कमलकांत पटवा की ओर से मुंसिफ कोर्ट में दावा पेश किया गया। अर्जी पर वादी की ओर से दलील दी गई कि पिलर गिरने की घटना बंदर के कूदने के कारण हुई थी। अतिरिक्त सिविल जज संख्या दो मनीष सिन्हा ने आदेश में उल्लेख किया है कि इंजीनियरों की रिपोर्ट के अनुसार तत्काल नहीं हटाने से नुकसान की आशंका नहीं है। दूसरी ओर निर्माण तोड़ दिया गया तो वादी को नुकसान होगा। अगली सुनवाई चार जनवरी को होगी।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/paved-buildings-in-kutcha-6594926/

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