चिकित्साकर्मी तापते रहे और मासूम ने दम तोड़ा...

भरतपुर. शहर के जनाना अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा एक बालक अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते मौत के मुंह में समां गया। आधे-से पौने घंटे तक इधर-उधर भटकने के बाद भी बच्चे का समय पर उपचार शुरू नहीं हो सका। ऐसे में बच्चे की सांसें थम गईं। कुछ ऐसे ही आरोप लगाते हुए मृतक बालक के परिजनों ने शनिवार को अस्पताल में हंगामा कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत कराया।
जानकारी के अनुसार साढ़े चार साल का बालक आयुष पुत्र दीपचंद जाटव निवासी सूरजपोल शनिवार सुबह अपने घर पर खेल रहा था। खेलते समय अचानक बच्चे के नाक व मुंह से खून आने लगा। इस पर परिजन उसे जनाना अस्पताल लेकर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि यहां बच्चे का समय पर उपचार शुरू नहीं हुआ। इसके चलते उसकी मौत हो गई। मृतक बालक के परिजनों ने आरोप लगाया कि हमने पहले बालक को जनाना अस्पताल में नीचे दिखाया तो यहां मिले चिकित्सक ने तुरंत इमरजेंसी ले जाने के लिए कहा। इस पर हम बालक को ऊपर लेकर गए, लेकिन दस मिनट तक गेट खट-खटाने के बाद भी गेट नहीं खोला गया। काफी देर बाद गेट खोला गया। आरोप है कि हम बाहर चिल्लाते रहे और अंदर कमरे में चार चिकित्साकर्मी हीटर पर हाथ सेंकते रहे। इनमें तीन लेडीज एवं एक जेंट्स स्टाफ था। गेट खोलने चिकित्साकर्मियों ने दो नंबर गेट पर बुलाया और जेंट्स स्टाफ ने बच्चे को देखकर खून साफ करते हुए चिकित्सक को बुलाने की बात कही। परिजनों ने आरोप लगाया कि हम नीचे चिकित्सक को बुलाने गए तो पहले चिकित्सक कुर्सी से खड़े ही नहीं हुए। काफी कहने के बाद चिकित्सक ऊपर आए और बच्चे को देखा और स्टाफ से बच्चे को वार्ड में भर्ती करने को कह दिया। आरोप है कि इसके बाद चिकित्सक भी हीटर तापने चले गए। परिजनों ने आरोप लगाया कि हम बीमार बच्चे को लेकर करीब आधे से पौन घंटे तक लेकर घूमते रहे, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते बालक की मौत हो गई। उधर अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को बताया कि बच्चे का तुरंत उपचार शुरू किया। बच्चे की धड़कन बंद थीं। बच्चे को ऑक्सीजन लगाकर सीपीआर तुरंत चालू की। बच्चे की स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में उसे बचाने में असफल रहे।

आए दिन विवाद फिर भी नहीं होती सही जांच

बात आरबीएम अस्पताल की हो या फिर जनाना अस्पताल की, यहां आए दिन विवाद आम हो चुके हैं। पिछले एक साल के अंदर जनाना अस्पताल समेत आरबीएम अस्पताल में कितनी ही बार विवाद हुए हैं, लेकिन हर बार जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती रही है। यही कारण है कि कुछ दिन तक अस्पतालों के हाल सुधरते नजर आते हैं तो कुछ दिन में ही मामला और बिगड़ जाता है। ऐसी स्थिति में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

समय पर मिलता उपचार तो बच जाता बच्चा

भरतपुर . जिला कांगे्रस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के निवर्तमान शहर अध्यक्ष संतोष निमेष एडवोकेट ने जनाना अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। निमेष ने पत्र में कहा है कि दीपचंद के बच्चे आयुष की अचानक तबीयत बिगड़ गई, जब वह अस्पताल पहुंचा तो करीब एक घंटे तक बच्चे को गोद में लिए घूमता रहा। तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उसने चिल्लाना शुरू किया तो दरवाजा खोला गया। अंदर चिकित्साकर्मी अलाव ताप रहे थे। आनन-फानन में बच्चे को देखा, जब तक उसकी मौत हो चुकी थी। निमेष ने राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग से जनाना अस्पताल चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि समय पर बच्चे को उपचार हो जाता तो उसकी जान बच जाती। पूर्व में सिमरन कौर नाम की महिला की चिकित्सकों की लापरवाही के कारण गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई थी।

-बालक को चिकित्सक ने अटेंड किया था। बच्चा काफी सीरियस था। बच्चे का सीटीआर भी किया गया। अन्य आरोपों की बात है तो वह जांच का विषय हो सकती है। यदि जरुरत हुई तो जांच की जाएगी।
डॉ. रूपेन्द्र झा, प्रभारी जनाना अस्पताल भरतपुर



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/the-medical-workers-kept-heating-up-and-the-innocent-died-6649227/

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