बेजुबान कौन...निगम की अनदेखी ने निगला गोवंश का निवाला!

भरतपुर. श्वानों का शिकार बन रहे गाय और बछड़े नंदी गौशाला में भूख-प्यास के चलते भी जिंदगी की जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। नगर निगम की अनदेखी गोवंश का निवाला तक निगल गई है। इकरन स्थित नंदीशाला में निगम ने सूखा भूसा और हरे चारे का टेंडर किया था, लेकिन भूसे के नाम पर यहां महज बाजरे की कड़बी पहुंच रही है, इसे गोवंश नहीं खा रहा है और भूखा रहने पर विवश है, लेकिन निगम प्रशासन को इसे देखने की फुर्सत नहीं मिल रही।
नगर निगम ने नंदीशाला में गोवंश के लिए सूखा एवं हरा चारा सप्लाई करने के आदेश जारी किए थे। निगम ने टेंडर की शर्तों में साफ लिखा था कि चारा सप्लाई से पूर्व गुणवत्ता की जांच निगम के सक्षम अधिकारी से कराई जानी होगी, लेकिन संभवतया आज तक जांच नहीं हुई। यदि जांच होती तो गौशाला में बाजरे की कड़बी पहुंचती ही नहीं। इसी अनदेखी का नतीजा यह है कि नंदीशाला में गोवंश भूख-प्यास से बेहाल है। खास बात यह है कि सूखा भूसा एवं हरे चारे की दर भी निगम ने पृथक-पृथक तय की, लेकिन यहां महज कड़बी ही मिली। गौशाला के बीचोंबीच लगा ढेर इसकी कहानी कहता नजर आ रहा है। इस कड़बी को खाना तो दूर गोवंश इसमें मुंह तक नहीं मार रहा। ऐसे हालात में यहां गोवंश जिंदगी से जंग लड़ता नजर आ रहा है।

60 लाख की सप्लाई में मिल रही कड़बी

जानकारी के अनुसार निगम की ओर से सूखा भूसा सप्लाई करने के लिए 60 लाख रुपए का ठेका दिया गया। यह कार्य एक संस्थान को लॉ स्टेण्डर्ड पर दिया गया। इसके बाद भी गोवंश की सेवा में घुसी सियासत के चलते इसका आधा काम एक अन्य फर्म को दे दिया गया। चारा सप्लाई में सियासत और अपनी झोली भरने की होड़ के बीच गोवंश यहां भूख से बिलख रहा है। इसके अलावा हरे चारे का टेंडर भी 30 लाख रुपए में दिया गया था। इसका भी आधा काम किसी की सिफारिश पर अपने चहेते को दिलवा दिया गया। राजनीतिक दवाब के चलते निगम ने चारा सप्लाई के काम का बंटवारा तो कर दिया, लेकिन गोवंश की यहां क्या स्थिति है, इसे देखने तक की जमहत नहीं उठाई। खास बात यह है कि लॉ स्टेण्डर्ड कार्य के निगम ने दो टुकड़े करते हुए एक ही कार्य के दो कार्यादेश जारी कर दिए।

फजीहत से बचने को आनन-फानन में खोल दी गौशाला

शहर की सरकार ने फजीहत से बचने के लिए आनन-फानन में गौशाला खोल दी थी, इसमें सुविधाओं का कतई आंकलन नहीं किया गया। शहर में बढ़ते गोवंश के बीच हो-हल्ला को कम करने के लिए निगम ने गोवंश को पकड़कर इकरन भेज दिया, जबकि यहां छाया-पानी के भी पर्याप्त नहीं हैं। नियमानुसार दूध वाली गाय, बछड़े, सांड एवं आवारा गोवंश को रखने की अलग-अलग व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। ऐसे में गोवंश यहां अपने हाल पर ही है।

यह कैसी चौकीदारी

जानकारी के मुताबिक गौशाला की देखरेख के लिए निगम प्रशासन ने चौकीदार रख रखे हैं, लेकिन गुरुवार को निरीक्षण में यहां कोई नजर नहीं आया। कहने को यहां करीब 15-16 व्यक्ति निगम ने लगा रखे हैं। साथ ही माली का भी ठेका कर रखा है, लेकिन चौकीदारी ऐसी है कि आवारा श्वान छोटे बछड़ों और घायल गायों को नोंचकर खा रहे हैं, जबकि पौधों के रखरखाव की बात करें तो यहां सिर्फ पौधों की रखवाली के लिए आए ट्री गार्ड औंधे मुंह गिरे हुए हैं। पौधों का नामोनिशान तक यहां नजर नहीं आता।

कराएंगे वीडियोग्राफी, पहल से मिलेगा सुकून

नगर निगम के आयुक्त डॉ. राजेश गोयल का कहना है कि मैंने इकरन गौशाला के हालात देख लिए हैं। इसके बाद सभी गौशालाओं का सर्वे कराया जाएगा। इसके तहत इनकी वीडियोग्राफी होगी। डॉ. गोयल ने कहा कि हमने आमजन के साथ गौ सवामनी की शुरुआत भी गौशालाओं की स्थिति बेहतर करने के लिए है। इसका उद्देश्य यह है कि गौशालाओं से आमजन जुड़ेगा तो इनकी मॉनिटरिंग बेहतर हो सकेगी। साथ ही गायों को पर्याप्त मात्रा में चारे सहित अन्य व्यवस्थाएं हो सकेंगी। वैसे नगर निगम अपने स्तर पर व्यवस्थाएं बेहतर करने के प्रयास कर रही है।

इनका कहना है

मैंने और आयुक्त ने मौका देखा है। आयुक्त ने इसमें कुछ एक्शन लेकर कार्मिकों को हिदायत दी है। इस मामले में जहां भी कोताही हुई है, उस पर कार्रवाई होगी। टेंडर की शर्तों के मुताबिक यदि काम नहीं हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी। मेरा खुद का ध्यान पिछले काफी समय से नंदीशाला के हालात सुधारने पर है।

- अभिजीत कुमार, मेयर नगर निगम भरतपुर

-इसको लेकर ठेकेदारों से बात की है। साथ ही निगम के कार्मिक को भी हिदायत दी है कि वह गौशाला पहुंचने वाले चारे की फोटो खींचकर भेजेंगे। इसमें गुणवत्ता का पूर्ण ख्याल रखा जा रहा है।

- डॉ. राजेश गोयल, आयुक्त नगर निगम भरतपुर



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/ignore-the-swallow-of-the-nigla-dynasty-6743294/

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