यहां दबंगों के दम पर खनन माफिया की दहशत, खाकी के साए में चल रहा खेल

भरतपुर/पहाड़ी. उपखण्ड में दबंगों के दम पर अवैध खनन माफियाओं का आंतक दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है। प्रशासन पर रसूखदार व राजनेताओं के दबाव का असर साफ दिखाई दे रहा है। इसके कारण दबंगों का आंतक परवान पर है। क्रशर जोन में वैध लीज धारकों एवं क्रशर संचालकों को कारोबार करने में अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है। स्थानीय दबंगों और खान, क्रशर संचालकों के बीच आए दिन झगड़े में फायरिंग होना आम बात हो गई है। उसके बाद झूठे मुकदमे दर्ज कराकर दबाव बनाने का खेल जारी होता है। व्यापारी या तो तंग होकर समझौता करता है या फिर पलायन को मजबूर हो जाता है। ऐसा ही मामला गत दिनों छपरा में क्रशर संचालक व मोठूका में वैध लीज धारकों व ग्रामीणो के बीच उपजा था। इसमें परस्पर फायरिंग आदि के मुकदमे दर्ज कराए गए।

एक एसएचओ उजागर कर चुके हैं भ्रष्टाचार

पिछले कुछ माह पूर्व एक तत्कालीन एसएचओ की ओर से क्रशर संचालक से रंगदारी वसूलने व मारपीट कर लूटपाट करने के मामले में आरोपियों के थाने में हंगामा करने पर उन्हें शांतिभंग में गिरफ्तार किया गया था। इसको लेकर आरोपी पक्ष ने जमकर हंगामा किया था। इसके अलावा एक फरवरी को अकबर ने मुकदमे में कहा था कि सहसन गांव के पास तीन बदमाशों ने बंदूक, कट्टे आदि से मारपीट करके घड़ी और 5000 रुपए छीन लिए थे। इसकी उसने पहाड़ी थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। इसमें विधायक पर भी आरोप लगाया था। ऐसे में रसूख के दबाव में खुद पुलिस प्रशासन को ही बैकफुट पर आकर एसएचओ को वहां से हटाना पड़ा था।

इन कारणों से बढ़ रहा अपराध का ग्राफ

नियम विरुद्ध रॉयल्टी वसूली: अधिक रॉयल्टी वसूली का खेल खनिज विभाग व स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है। क्रशर संचालक लोडिंग की आड़ में अधिक वसूली कर खनन माफियों को भेज रहा है। इसमें सरकार को राजस्व की हानि हो रही है।
ओवलोडिंग का खेल: खनन क्षेत्र में जुड़े वाहन संचालकों को ओवलोडिंग खनन सामग्री ले जाने के लिए 12-14 हजार रुपए में हर माह टोकन खरीदना पड़ता है। इसके हर माह अलग-अलग नाम से स्टीकर वितरण किए जाते हंै।
अवैध खनन के ठेका: क्षेत्र में अवैध खनन कराने के ठेके छोड़े जाते है। इसमें से होने वाला फायदा का हिस्सा चिन्हित जिम्मेदारों को पहुंचता है। सरकारी पहाड़ व चारागाह जैसे प्रतिबंधित पहाड़ों में अवैध खनन का कारोबार इसी दम पर धड़ल्ले से जारी है।

सवाल मांगते है जबाव

-आखिर दबंगई कराने के पीछे किसका हाथ है?
-स्थानीय पुलिस प्रशासन अंकुश लगाने में असहाय क्यों?
-किसके इशारे पर अधिक रॉयल्टी वसूली की जा रही है?
-क्रशर संचालक लोडिंग की रसीद क्यों थमा रहे है?
-झूठे मुकदमों को दर्ज कराने में किसका सहयोग है?


केस नंबर एक: छपरा में स्थित राव योगेन्द्र ग्रिट उद्योग क्रशर पर लूटपाट व रंगदारी मांगने का मामला सामने आया। इसको लेकर पहाड़ी थाने में मुकदमा नम्बर मालिक ने नामजद दर्ज कराया था। इसको लेकर काफी हंगामा हुआ था।

केस नम्बर दो: मौठूका में खनन पट्टा सख्या 65/02 जिसे हरियाणा के एक व्यक्ति ने ठेकेदार दौलतसिह को चलाने के लिए पॉवर ऑफ अटोर्नी करा दी। उसके बाद पिल्लरों को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। इसकी कमान एक रसूखदार नेता के पास होने से विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

केस नम्बर तीन: नांगल में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। गाधानेर के चारागाह पहाड़ में चारागाह प्रतिबंधित होने के बाद अवैध खनन हो रहा है, लेकिन खनिज विभाग, पुलिस और जिम्मेदार राजनेता शांत बने हुए हैं। मतलब साफ है कि उनके ही इशारे पर सबकुछ हो रहा है।


-मेरी वैध लीज होने के बाद भी परेशान किया जा रहा है। रंगदारी वसूल करने के लिए लीज को चलने नहीं दिया जा रहा है। झूठे मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं। पिलर लगाने का प्रयास किया तो लगाने नहीं दिए। इसमें पहाड़ी एसएचओ आरोपियों से मिले हुए हंै। उसने मेरी वैध लीज में तीन मार्च 2021 को काम बंद करा दिया था। यह सारा खेल एक रसूखदार के दबाव में रंगदारी के लिए किया जा रहा है। मेरे पक्ष से पूछताछ तक नहीं की गई है। राजनैतिक दबाव मे आकर एसएचओ एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं। सीएमओ तक शिकायत कर दी है।

दौलत सिंह, पीडि़त पक्ष

-मोठूका में खनन को लेकर विवाद है। छपरा में क्रशर पर पिछले दिनों से कोई बात नहीं है। मुकदमों में जांच चलरही है। झूठे तो कैसे कह सकते हैं।

सुनील कुमार गुप्ता, एसएचओ थाना पहाड़ी



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/the-game-running-in-the-shadow-of-khaki-6746568/

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