बयाना: इतिहास है साक्षी...हुआ था श्रीकृष्ण व महादेव के बीच युद्ध

भरतपुर/बयाना. यह बात सुनने में भले ही विचित्र लगे किंतु इतिहास के पन्ने इस बात के साक्षी हैं कि एक समय बयाना (शोणितपुर )की रणभूमि पर द्वारकेश श्री कृष्ण और देवों के देव महादेव के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था। इसमें दोनों ओर से हजारों योद्धाओं ने वीरगति प्राप्त की थी। इस ऐतिहासिक प्राचीन घटना के बारे में ग्रंथों में उल्लेख किया गया है।
इतिहासकार घनश्याम होलकर ने बताया कि इतिहास के पन्नों में कहा जाता है कि शंकर के परम भक्त बाणासुर ने अपने बल से तत्कालीन राजा-महाराजाओं को परास्त कर दिया था। उसने शोणितपुर नामक नगर की स्थापना कर अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया था। समय प्रारब्ध दोष से गर्वित बाणासुर भगवान शिव से बोला कि हे महादेव आपने मुझे जो यह हजार भुजाएं दी हैं इन्हें में लेकर क्या करूं? युद्ध के बिना इन पर्वत समान भुजाओं का होना व्यर्थ है। उसनेे कहा कि मैंने यम, कुबेर, इंद्र, वरुण सभी को जीत लिया है। ऐसा सुनकर शिवजी बोले कि वह समय शीघ्र आएगा जब तेरी पर्वताकार भुजाएं मंदकार की लकड़ी के समान कटकर पृथ्वी पर गिरेंगी। कहते हैं कि बनना बिगडऩा सब ईश्वर की लीला होती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब पार्वती ने पूर्व श्राप के आधार पर बाणासुर की पुत्री उषा के शयन कक्ष में रात्रि के समय कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को भेजा तो उसने ऊषा के साथ अनैतिक कार्य किया। सूर्य उदय से पूर्व उसे वापस द्वारका भेज दिया। अपने आप को दूषित हुआ जान बाणासुर की पुत्री ने आत्महत्या करने की योजना बनाई, लेकिन ऐसा करने से उसकी सहेली चित्रलेखा ने उसे रोक दिया। चित्रलेखा ने ऊषा को पूर्व की कथा सुनाई तो वह लुप्त पति को पाने के उपाय सोचने लगी। चित्रलेखा ने एक वस्त्र पर राम, कृष्ण सहित अनेक महापुरुषों के चित्र बनाए और ऊषा से पूछा कि इन सब में कौनसा व्यक्ति है। बाणासुर की पुत्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की तस्वीर देखते ही लज्जित हो गई और बोली यही वह व्यक्ति है। ऊषा अपने पति से मिलने के लिए व्याकुल हो गई। चित्रलेखा अपनी योग माया से द्वारकापुरी पहुंच गई और अनिरुद्ध को उठाकर ऊषा के महल में ले आई। इस घटना के बारे में द्वारपालों को भनक लग गई। इसकी सूचना उन्होंने महाबली बाणासुर को दे दी। फिर क्या था वह क्रोध से आग बबूला हो गया। उसने अनिरुद्ध को बंदी बना लिया।
उधर, अनिरुद्ध के अपहरण की घटना के बारे में पूरी द्वारकापुरी में चर्चा होने लगीं। महिलाओं ने रोना-धोना शुरू कर दिया। जब श्रीकृष्ण को इस बारे में पता चला तो वह प्रद्युम्न, युधान, साम्भ, सारण, नंद, उपनंद, बलभद्र आदि बारह अक्षौणी सेना सहित शोणितपुर नगरी को चल दिए अपने नगर को चारों ओर से घिरा देख बाणासुर भी पूरे लाव लश्कर के साथ युद्ध को तैयार होकर मोर्चे पर खड़ा हो गया। इधर अपने भक्त बाणासुर की रक्षा के लिए सदाशिव अपने पुत्रों तथा गणों सहित नंदी बैल पर आरुढ़ होकर युद्ध मैदान में पहुंच गए। दोनों ओर भयंकर लड़ाई शुरू हो गई। श्री कृष्ण का शिवजी से, प्रदुमन का कुम्भांड से बाणा पुत्र का साम्ब से, बाणासुर का सात्यिक से और गरुण का नंद से युद्ध हुआ। ब्रह्मास्त्र से ब्रह्मास्त्र टकराए चारों ओर हाहाकार मच गया। शोणितपुर नगर की धरती लाशों से पट गई। शिव की विकराल गर्जना से कृष्ण भयभीत हो गए और उन्होंने श्रीम्भण अस्त्र से जीम्भण कर शिवजी को मोहित कर लिया। और उन्हें युद्ध करने से रोक लिया। उसके बाद ही महाबली बाणासुर की भुजाएं कृष्ण काट पाए। महादेव ने दोनों पक्षों में संधि करवा दी। बाणासुर ने अपनी पुत्री उषा को सम्मान के साथ विदा कर दिया। इस तरह दो बड़े शक्तिशाली शासकों के मध्य युद्ध की समाप्ति हुई। प्राचीन शोणितपुर नगर बयाना में आज भी उषा मंदिर बना हुआ है। जहां सदियों से पूजा अर्चना होती आ रही है। पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के उक्त धार्मिक स्थल की इमारत में लगे खम्बों पर की गई नक्काशी पाषाण शिल्प प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। उक्त देवालय परिसर का आधा भाग विवादित होने के कारण देख-रेख के अभाव में अपना वास्तविक स्वरूप खोता जा रहा है। प्राचीन नगर बयाना को पर्यटन के नक्शे पर उभारने की आवश्यकता है। इससे न केवल सरकार को आय और बेरोजगार युवाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध होगें बल्कि इस क्षेत्र में बिखरी पड़ी पुरा सम्पदा को संरक्षण मिलेगा।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/a-war-between-sri-krishna-and-mahadev-took-place-6771979/

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