आरोपों से घिरी सरकार ने बनाई कमेटी, मांगने पर मिली समय की मोहलत

भरतपुर. गरीबों के हक की सांसों को निजी हॉस्पिटल को किराये पर देने के मामले में अब राज्य सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। जिंदल हॉस्पिटल को सरकारी वेंटीलेटर देने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय में पेश की गई जनहित याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई में राजस्थान सरकार के महाधिवक्ता एमएस सिंघवी की ओर से प्रार्थी विजय कुमार गोयल के अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल एवं हिना गर्ग की ओर से प्रस्तुत किए गए शपथ पत्र की गंभीरता पर संज्ञान लेते हुए जवाब पेश करने के लिए समय चाहा।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता खंडेलवाल एवं गर्ग की ओर से प्रस्तुत किया गया कि पूरा मामला अति गंभीर है और आम आदमी के जन कल्याण से जुड़ा है। साथ ही कोविड आपदा से संबंधित है। ऐसे में इसका निस्तारण शीघ्र किया जाए। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए समय दिया जाकर याचिका को जुलाई के पहले हफ्ते में सूचीबद्ध करने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता सिंघवी ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि राज्य सरकार की ओर से एक कमेटी भी गठित की गई है। विजय कुमार गोयल के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट के समक्ष पेश किए गए शपथ पत्र में सरकार एवं जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शपथ पत्र में प्रार्थी की ओर से सरकारी उपकरणों को मनमर्जी तरीके से निजी अस्पताल को देने के साथ सरकार के अपने शपथ पत्र में कई तथ्यों को जान-बूझकर छिपाने के आरोप लगाए हैं। शपथ पत्र में यह कहा है कि राज्य सरकार ने अपने शपथ पत्र में यह कहा है कि प्रशासन ने पांच वेंटीलेटर जिंदल हॉस्पिटल को 27 अप्रेल को दिए, लेकिन इसके बाद छह मई को दिए गए पांच और वेंटीलेटर के तथ्य का कोई हवाला नहीं दिया है। इसके अतिरिक्त जो जांच कमेटी नियुक्त की गई थी, उस कमेटी ने भी जांच केवल निजी अस्पताल की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर की है, जबकि कमेटी को संपूर्ण जांच करनी थी। कमेटी जिला कलक्टर के आदेश से गठित की गई, जबकि मामले में 27 अप्रेल जो वेंटिल्टर जिंदल हॉस्पिटल को अलॉट किए गए वह भी जिला कलक्टर के आदेश पर दिए गए थे। कमेटी ने जांच रिपोर्ट भी जिला कलक्टर को प्रस्तुत की है। अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि विभिन्न राशियां जो निजी अस्पताल की ओर से वसूल की जा रही हैं उनमें से कई राशियां राज्य सरकार की अधिसूचना तीन सितम्बर 2020 को जो अधिकतम दरें निर्धारित की गई थीं, उनमें सम्मिलित हैं, लेकिन अधिसूचना की अवहेलना में निजी अस्पताल मरीजों से इन सेवाओं के लिए भी राशि वसूल कर रहे हैं। ऐसे मामलों में कई अन्य प्रदेशों में प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है।

अधिकारियों के रिश्तेदारों का हुआ इलाज

गौरतलब है कि एक तरफ तो राज्य सरकार अपने शपथ पत्र में जिंदल हॉस्पिटल की ओर से सरकारी वेंटीलेटर 27 अप्रेल से 13 मई तक केवल 18 बार प्रयोग में आना कह कर रही है। वहीं दूसरी ओर जिंदल हॉस्पिटल ककी ओर से अपने पत्र छह मई में पांच सरकारी वेंटीलेटर के साथ संस्था के पास खुद के उपलब्ध सात वेंटीलेटर भी कम पडऩे का हवाला दिया और पांच अतिरिक्त वेंटीलेटर की मांग की गई। इस पर प्रशासन की ओर से पांच वेंटिलेटर और उपलब्ध क्यों कराए गए। इस प्रकरण में सूत्रों के अनुसार एक आईएएस अधिकारी और दो आरएएस अधिकारियों के रिश्तेदारों का इलाज जिंदल हॉस्पिटल में होने के कारण निजी अस्पताल पर अधिकारियों की ओर से मेहरबानी की जाने की भी अटकलें सामने आ रही हैं।

अब किसी की बलि देने की हो रही कोशिश

पड़ताल में यह भी सामने आया है कि अब वेंटीलेटर प्रकरण में असल दोषी बड़े अधिकारी तो रसूख व राजनेताओं की छत्रछाया के चलते बचाव का रास्ता तलाश कर चुके हैं, लेकिन इन्हीं अधिकारियों ने बचाव की राह में किसी एक अधिकारी को मोहरा बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी हैं। हालांकि उस अधिकारी के बचाव में उसके विभाग का ही एक गुट आ चुका हैं। उस गुट का कहना है कि साफ तौर पर बड़े अधिकारी के कहने पर वेंटीलेटर भेजे गए थे, जिस काम में दो-चार दिन का समय लग जाता है। उन साहब के कहने पर मात्र 10 मिनट तक यह काम हो गया था। अब वह अगर किसी निर्दोष को फंसाने की कोशिश करते हैं तो कोरोनाकाल में हड़ताल के लिए भी विवश होना पड़ सकता है। बाकी हकीकत यही है कि हर कोई खुद को बचाने की जुगत में योजना बनाता नजर आ रहा है। किसी ने पिछली तारीख में आदेश निकाले हैं तो किसी ने पिछली तारीख में प्रकरण में पूछने के लिए पत्र निकाल दिया है। ऐसे में दोषी अधिकारी ही आदेश-आदेश के खेल में खुद ही फंसते नजर आ रहे हैं।

पत्रिका ने ऐसे किया मामले का खुलासा

एकमात्र राजस्थान पत्रिका ने नौ मई के अंक में गरीबों के हक की सांसों पर रसूख का साया, 10 मई के अंक में खौफ मरता, क्या नहींं करता ..., 11 मई के अंक में हाईकोर्ट पहुंचा निजी अस्पताल की मनमानी का मामला, 12 मई के अंक में मनमानी पर नहीं टूट रहा जिम्मेदारों का मौन, 13 मई के अंक में जिला कलक्टर-हॉस्पिटल संचालक को नोटिस जारी, 14 मई के अंक में बड़ा सवाल ... आखिर निजी अस्पतालों में कौन लिख रहा रेमडेसिविर, 15 मई के अंक में अब भी मनमाने शुल्क की वसूली, बिल देने से इनकार, 16 मई के अंक में अब केन्द्र सरकार का आदेश आवंटित वेंटीलेटर्स की कराई जाएगी ऑडिट, 17 मई के अंक में अफसरों ने लिया निजी अस्पतालों का जायजा, रेट लिस्ट तक नहीं मिली तथा 18 मई के अंक में प्रशासन बांट रहा वेंटीलेटर, पीएमओ ने मांगे वापस, 19 मई के अंक में जिंदल हॉस्पिटल ने लौटाए पांच सरकारी वेंटीलेटर, 20 मई के अंक में प्रशासन का गणित खानापूर्ति या मेहरबानी, 21 मई के अंक में राजकीय शोक के चलते टली सुनवाई, 22 मई के अंक में वेंटीलेटर प्रकरण में जिन पर दोष, सरकार ने उन्हें ही सौंपा जांच का जिम्मा, 25 मई को वेंटीलेटर के किराये पर फंसा पेंच, 26 मई को वेंटीलेटर प्रकरण हाईकोर्ट की बेंच में हुआ सूचीबद्ध शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। अब तक सिर्फ राजस्थान पत्रिका ही इस प्रकरण को उठा रहा है। इसके कारण यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/government-formed-a-committee-time-was-granted-on-demand-6865909/

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