मनमानी पर उतरी कंपनियां, काम में देरी पर भी अफसरों ने साधी चुप्पी

भरतपुर. चम्बल के पानी के बीच घुसी सियासत का तोड़ किसी के पास नजर नहीं आ रहा। पीएचईडी अफसर खानापूर्ति को पैनल्टी तो लगा देते हैं, लेकिन मेहरबानी के चलते यह फिर से कंपनियों के खाते में आ जाता है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका की ओर से लगातार इस मामले को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। आलम यह है कि कंपनियों की करतूत बैठकों तक ही गूंज कर रह जाती हैं। धरातल पर अफसर भी इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करने से कतराते नजर आ रहे हैं। अधिकारी चाहे लाख दावे करें, लेकिन दावों के पीछे हकीकत किसी से छिपी नहीं है। भरतपुर, कुम्हेर एवं रूपवास ब्लॉक के गांवों का कार्य लंबे समय से बंद है।
खुद राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग की ओर से पिछले दिनों हुई वीसी में जिला कलक्टर को निर्देश दिए गए थे कि जीआर इंफ्रा अगर काम नहीं करना चाहती है तो उसके खिलाफ नोटिस देकर कार्रवाई की जाए। हालांकि अभी तक जिला कलक्टर के स्तर पर कोई कदम उठाने की बात सामने नहीं आई है। हकीकत यह है कि यह काम प्रतिभा लिमिटेड कर रही थी, उसने यह यह काम सबलेट कर दिया। चम्बल परियोजना का काम लेने वाली एक भी मुख्य कंपनी इस परियोजना में काम करती नजर नहीं आ रही है। यही वजह है कि साल दर साल यह काम पिछड़ता ही जा रहा है। नगर और डीग के साथ 283 गांवों का काम आईवीआरसीएल कंपनी के पास है। इस कंपनी ने यह काम जीए इंफ्रा कंपनी को सबलेट कर दिया है। हालांकि अब इस काम में कुछ गति आई है। इसके अलावा कामां-पहाड़ी के साथ ही 246 गांवों को पानी पहुंचाने का जिम्मा लेने वाली एनपीएलएल ने भी अपना काम केसीसी को दे दिया है। कामां में काम एसपीएनएल को दे रखा है उसने सबलेट कर कमल कंस्ट्रक्शन कंपनी को दे दिया। इसी तरह सभी जगह कंपनियों ने काम लेकर सबलेट कर दिए।

अधिकारियों की मेहरबानी, बोल रहे झूठ

असल में चंबल प्रोजेक्ट में हो रही देरी के पीछे इससे जुड़े पीएचईडी के अधिकारी जिम्मेदार हैं। भले ही ये अधिकारी नौकरी राज्य सरकार की कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारी व विश्वास कंपनियों के प्रति अधिक दिखाते हैं। यही कारण है कि कंपनियां काम की तारीख बढाती जाती है और अधिकारी मेहरबानी करते जाते हैं।

-बिल्कुल यह बात सही है कि प्रतिभा कंपनी ने चंबल प्रोजेक्ट का काम ले रखा है, वह देरी कर रही है। हम एक-एक कर कंपनियों को बुलाकर बात कर रहे हैं कि उन्हें काम में क्या दिक्कत आ रही है। फिर उनका समाधान किया जाएगा। अगर कोई अधिकारी भी कंपनियों की गल्ती में साथ दे रहा है तो जांच कराकर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। भरतपुर से काफी शिकायत आ रही है, इसलिए संबंधित कंपनी अगर काम नहीं करती है तो ब्लेक लिस्ट भी किया जा सकता है।

दिलीप गौड़, चीफ इंजीनियर स्पेशल प्रोजेक्ट पीएचईडी



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/officers-remain-silent-on-the-delay-in-work-6865856/

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