मेहरबानी से मजबूत हुई बुनियाद, कार्रवाई सिफर
भरतपुर . शहर के हीरादास बस स्टैण्ड के सामने खादी ग्रामोद्योग समिति की ओर से निर्मित 30 दुकानों की बुनियाद नगर निगम की मेहरबानी से मजबूत हो गई है। ऐसे में तमाम शिकायतें भी बेअसर साबित हुई हैं। खास बात यह है कि प्रथम दृष्टया इस निर्माण को अवैध माना गया है। फिर भी इन्हें हटाने के बजाय लंबे समय से पत्र व्यवहार का ही खेल चल रहा है। टालमटोल की प्रवृति ने इस निर्माण को ठोस आधार सा दे दिया है। अब भी सिर्फ कागज दौड़ रहे हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ होता नजर नहीं आ रहा। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 11 जनवरी 2021 17 साल से सिसक रही शिकायत, निगम से फाइल ही गायब शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया था। तब से ही यह मामला सुर्खियां बटोर रहा है।
खास बात यह है कि इससे पहले 61 दुकानों को जिला प्रशासन अवैध निर्माण मानकर तोड़ चुका है, लेकिन अब 30 दुकानों के मामले में ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही। जिला सतर्कता समिति में इस प्रकरण की शिकायत वर्ष 2003 में दर्ज हुई। समिति ने मामले की जांच के आदेश नगरपरिषद को दिए। जांच में खादी ग्रामोद्योग समिति के संचालकों को नगरपरिषद की बिना अनुमति के 30 दुकानों का अवैध निर्माण करने का दोषी मानते हुए रिपोर्ट समिति को सौंप दी। समिति ने खादी समिति संचालकों को निर्माण नहीं करने को पाबंद कर प्रकरण को समाप्त कर दिया। इस मामले की दूसरी शिकायत वर्ष 2004 में भी हुई। समिति ने एक बार फिर से नगरपरिषद को आदेश दिए, लेकिन नगरपरिषद ने निर्माण स्थल नगर सुधार न्यास के अधिकार क्षेत्र में होना बताकर मामले से पल्ला झाड़ लिया। मामला सुर्खियों में आने पर न्यास ने इसे नगर परिषद का क्षेत्र बताया। जब इस मामले में स्थिति स्पष्ट हुई तो नगरपरिषद ने निर्माण स्थल पर अदालत से स्थगन आदेश होना बता दिया। इधर निर्माण कार्य चलता रहा। इस मामलेे में समिति ने स्थगन आदेश संबंधी दस्तावेज मांगे तो वह उपलब्ध नहीं कराए गए।
निगम ने यह लिखा है पत्र
नगर निगम ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में बताया है कि शहर के कृष्णा नगर निवासी देवेन्द्र पोद्दार की ओर से की गई शिकायत में खादी ग्रामोदय समिति के मंत्री द्वारा औद्योगिक प्रयोगजनार्थ भूमि पर बिना सक्षम अनुमति लिए केन्द्रीय बस स्टैण्ड के सामने 100 से अधिक व्यावसायिक दुकानों के अवैध निर्माण की जांच कराने एवं कार्रवाई करने की मांग रखी है। निगम ने कहा कि यह प्रकारण करीब 18-20 साल पुराना है। शिकायतकर्ता पोद्दार को उसी समय आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी, लेकिन पोद्दार ने ऐसा नहीं किया। इस प्रकरण की मूल पत्रावली कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर नगर निगम के विधि सलाहकार की ओर से दी गई राय के अनुसार अध्यक्ष/मंत्री भरतपुर जिला ग्रामोदय समिति भरतपुर को विस्तृत जवाब मय दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने के लिए नोटिस 2 नवम्बर 2020 को जारी किया था, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई जवाब इस कार्यालय को प्राप्त नहीं हुआ है।
शिकायकर्ता ने उठाए सवाल
शिकायकर्ता ने कहा कि यह प्रकरण करीब 18-20 साल पुराना है। समिति के मंत्री द्वारा 20 जून 2017 को 66 दुकानों के मार्केट का नया निर्माण करने की प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। इसके अनुसार 25 दुकानें निर्मित की जा चुकी हैं। शेष का निर्माण 2018 में किया जाएगा। स्पष्ट है कि 66 दुकानें वर्ष 2017-18 में निर्मित की गईं। यह अवैध निर्माण प्रकरण 18-20 साल पुराना होने का कथन असत्य है।
- निगम क्षेत्र में किसी भी अवैध निर्माण को रोकने, बिना स्वीकृति निर्माण नहीं करने के लिए पाबंद करने तथा जबरन अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार एवं दायित्व निगम का है। फिर शिकायतकर्ता को आपत्ति दर्ज कराने का कथन अनुचित है।
- शिकायकर्ता की ओर से अवैध निर्माण के प्रारंभ से वर्ष 2003 से वर्ष 2020 तक विभाग सहित जिला प्रशासन, संभागीय आयुक्त, लोकायुक्त सचिवालय, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, को निरंतर शिकायतें की गई हैं। इन सभी पर परिवाद दर्ज हुए हैं। प्रार्थी के पास इस प्रकरण के करीब 20 पत्र मौजूद हैं।
- शिकायतकर्ता ने कहा है कि निगम के संबंधित शाखा प्रभारी, अधिनस्थों ने उच्चाधिकारियों को असत्य तथ्यों से गुमराह किया और प्रकरण की सत्यता जांचें बिना असत्य रिपोर्ट पर उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दिया।
इनका कहना है
खादी समिति का मामला मेरी जानकारी में नहीं है।
- डॉ. राजेश गोयल, आयुक्त नगर निगम भरतपुर
source https://www.patrika.com/bharatpur-news/action-cipher-6922960/
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