झुलसे तन से रिस रही बेपरवाही, आंखों का सूखा पानी

भरतपुर. अग्निजनित हादसों के बाद आरबीएम पहुंचने वाले मरीजों को यहां व्यवस्थाएं और झुलसा रही हैं। ऐसी जिंदगियों का इलाज यहां खतरे के बीच होता नजर आ रहा है। जली अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों को यहां ऑपरेशन के बाद उपचार कराने वाले मरीजों के साथ रहना पड़ रहा है। इससे यहां इन्फेक्शन फैलने का खतरा पनप रहा है। ऐसे में जान जोखिम में डालकर मरीज यहां उपचार कराने केा विवश हो रहे हैं, लेकिन व्यवस्था सुधार के लिए कोई प्रयास नजर नहीं आ रहे।
आरबीएम अस्पताल की चौथी मंजिल पर करीब डेढ़ माह पहले ही जली अवस्था में आने वाले मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह वार्ड बर्न मरीजों के लिए स्पेशल नहीं बनाकर अन्य मरीजों के साथ जोड़ दिया है। चौथी मंजिल पर बनाए गए वार्ड में बी यूनिट बर्न मरीजों को दे दी है। अब यहां बर्न मरीजों के साथ ऑपरेशन के बाद रहने वाले मरीज भी भर्ती हो रहे हैं। इसके अलावा मेडिकल संबंधी तथा ईएनटी वाले मरीज भी भर्ती हो रहे हैं। इससे यहां संक्रमण का अंदेशा बना हुआ है। इसको लेकर मरीज भी चिकित्सकों को कई बार आगाह कर चुके हैं, लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही रहा है। जानकारों की मानें तो अस्पताल में बर्न यूनिट अलग से होनी चाहिए, इससे जले हुए मरीज सुरक्षित रह सकें। जली हुई अवस्था में आने वाले मरीजों में इन्फेक्शन फैलने का खतरा बहुत ज्यादा खतरा रहता है, लेकिन अस्पताल प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। वार्ड में अन्य मरीजों के साथ उनके परिजनों का आवागमन भी बना रहता है। इससे जले हुए मरीजों का उपचार यहां खतरे के बीच होता नजर आ रहा है।

एसी तक की नहीं व्यवस्था

सामान्य तौर पर जले हुए मरीजों के लिए ठंडे वातावरण की आवश्यकता होती है। इससे मरीज जलन जैसी तकलीफ से बचे रहते हैं, लेकिन यहां मरीज महज पंखे की हवा में ही खुद के घावों को भरते नजर आ रहे हैं। ज्यादा जली हुई अवस्था में पहुंचने वाले मरीज कई बार इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। लगातार शिकायत के बाद भी चिकित्साकर्मी मरीजों की पीड़ा की अनसुनी कर रहे हैं। ऐसे में मरीज यहां उपचार के बीच आहत होते नजर आ रहे हैं।

हर माह आते हैं करीब 60 मरीज

आरबीएम अस्पताल की चौथी मंजिल पर बनाए गए वार्ड में प्रतिदिन करीब दो मरीज जली हुई अवस्था में पहुंच रहे हैं, जिनका उपचार अन्य मरीजों के बीच हो रहा है। इसके अलावा ऑपरेशन के बाद आने वाले मरीजों की संख्या भी प्रतिदिन दो से चार के बीच है। वहीं ईएनटी सहित मेडिकल संबंधी मरीज आने पर वार्ड में जगह कम बचती है। ऐसी स्थिति में यहां जले हुए मरीज महफूज नजर नहीं आते। कई मर्तबा मरीज ज्यादा होने की स्थिति में इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/irritability-leaking-from-the-scorched-body-dry-eyes-7023341/

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