सफाई का बहाने सध रहे हितों पर निशाने

भरतपुर. पिछले करीब 15 साल में सफाई ठेका को लेकर दर्जनों विवाद हुए हैं। इस बार विवाद की कहानी सियासी विरोध के पीछे छिपी है। नई सफाई व्यवस्था का निर्णय बुधवार को नगर निगम की साधारण सभा की बैठक में होगा, लेकिन उससे मेयर गुट व विरोधी पार्षद गुट ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मेयर गुट ने प्रस्ताव को स्वीकृत कराने के लिए वोटिंग कराने की तैयारी कर ली है तो विरोध गुट ने मेयर गुट की योजना को फेल करने की। हालांकि इन दोनों गुटों की लड़ाई में नुकसान शहर की जनता का ही होना है। नया ठेका होता है तो विरोधी गुट उसके खिलाफ रहेगा और नहीं होता है तो वर्षों से विवाद के दम पर चल रहे पुराना ठेका विवादों में रहेगा। ऐसे में तीन साल का साढ़े 60 करोड़ रुपए का सफाई ठेका सियासी मायने में भी खास है। अब नगर निगम की बैठक में प्रस्ताव संख्या 77 में इसे शामिल किया है। जानकारी के अनुसार 25 जून 2021 को हुई नगर निगम की बैठक में प्रस्ताव संख्या 69 पर भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, डोर टू डोर कचरा संग्रह और परिवहन कार्य एवं 40 वार्डों की मैनुअल स्वीपिंग की डीपीआर स्वीकृति करने एवं उक्त कार्य पर तीन वर्षों में होने वाले 60.46 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर विचार को शामिल किया गया था। पार्षदों के विरोध के बाद निर्णय लिया गया था कि 21 सदस्यीय कमेटी गठित कर किसी दूसरे शहर में संबंधित कंपनी की सफाई व्यवस्था का अवलोकन कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

अब तक क्या ?

24 जून 2021 की बैठक में निर्णय के बाद मेयर ने 21 पार्षदों को ले जाने की स्वीकृति दी। 22 जुलाई को चंडीगढ़ व पंचकुला जाना तय किया गया। पार्षदों के स्वीकृति नहीं देने पर निर्णय किया कि 65 में से कोई भी पार्षद जा सकता है। 27 जुलाई को 22 पार्षद व मेयर चंडीगढ़ में सफाई व्यवस्था का अवलोकन करने गए।

डीपीआर में तीन साल+पांच साल भी बताया

सफाई की नई व्यवस्था पर नजर डालें तो सामने आया कि नई सफाई व्यवस्था के इस प्रस्ताव को एओ ने प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के लिए तत्कालीन आयुक्त के सामने पेश की। इसके बाद मेयर ने डीपीआर बनाने के लिए कह दिया। छह अधिकारी-कर्मचारियों की कमेटी डीपीआर बनाने के लिए तय की गई। इसमें लेखाधिकारी, सचिव, सहायक अभियंता, जेईएन, सीएसआई को तकनीकी कमेटी में शामिल किया गया। तब जाकर यह डीपीआर तैयार हुई। इस डीपीआर में विरोधी गुट ने सवाल उठाया है कि साफ लिखा है कि तीन साल में कंपनी इंस्फ्राट्रक्चर विकसित करेगी। इसके बाद दो साल बढ़ाया जा सकता है। अगर कंपनी का काम इस बीच निरस्त किया जाता है तो वह कोर्ट की सहायता से विवाद खड़ा कर सकती है।

खुद तत्कालीन आयुक्त उठा चुके सवाल, कुछ माह बाद तबादला

वर्ष 2021-22 के लिए अनुमानित व्यय 12.56 करोड़ की तुलना में डीपीआर के अनुसार संभावित व्यय 19.17 करोड़ रुपए होता है, जो कि प्रथम दृष्टया अधिक प्रतीक होता है, यह टिप्पणी नगर निगम आयुक्त की ओर से की गई थी। बाद में परंपरागत सफाई की तुलना आधुनिक सफाई पद्धति होने के कारण मशीनरी से सफाई, आईटी बेस मॉनिटरिंग को शामिल किए जाने के कारण इस शहर की सफाई व्यवस्था को बेहतर माना। तब जाकर प्रस्ताव संख्या 69 पर यह डीपीआर स्वीकृति के लिए आई। हालांकि इसके कुछ दिन बाद ही तत्कालीन आयुक्त का तबादला हो गया था।

13 जोन में बीट बनाई, लेकिन आज तक नहीं की स्वीकृत

नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों की टीम ने वर्ष 2019 में शहर में 13 जोन बनाकर उनकी बीट बनाई गई। इसमें मुखर्जी नगर में शामिल वार्डों में 94, हीरादास में 106, सेवर फोर्ट में 92, तिलकनगर में 116, आरोग्यधाम में 131, बी-नारायण गेट में 109, केतन गेट में 103, नगर निगम में 111, घोड़ा घाट में 110, फायर स्टेशन में 118, पक्का बाग में 140, कंपनी बाग में 91, रेलवे स्टेशन में 109 बीट बनाई गई। यह बीट अनुमोदन के लिए इस बोर्ड के पिछले कार्यालय की अंतिम बैठक में रखी गई, लेकिन पार्षदों के विरोध के कारण स्वीकृत नहीं हुई। यह भी डीपीआर में विवाद का विषय है।

डीपीआर व इन मुद्दों पर उठाए जा रहे सवाल

1. मृत जानवर उठाने के लिए 700 रुपए वसूल किए जाएंगे। इससे वार्डों में पार्षद के प्रति विरोध पनप सकता है।

2. घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 100 रुपए प्रति घर से शुल्क लिए जाएंगे। 60 हजार घरों से 100 रुपए प्रतिमाह वसूलने पर प्रतिमाह की राशि करीब 60 लाख रुपए होती है। अब वार्षिक गणना करने पर सात करोड़ 20 लाख रुपए हुई। इससे विरोध हो सकता है।

3. ठोस कचरा प्रबंधन के तहत राज्य सरकार ने 14 अप्रेल 2019 को अधिसूचना जारी कर उपविधियां बनाई। यह अभी नगर निगम ने लागू नहीं किया है। लागू होना तय है। इससे डोर टू डोर राशि वसूल की जाएगी।

4. 14 जुलाई को स्पेशल टास्क फोर्स की बैठक में तत्कालीन आयुक्त ने बताया कि ऑटो टिपर व अन्य वाहनों में जीपीएस लगाकर मॉनीटरिंग की जा रही है। डीपीआर में जीपीएस लगाने की बात कही गई है। अब तत्कालीन आयुक्त ने झूठ बोला है या डीपीआर में झूठ है, यह जांच का विषय है। डीपीआर के अनुसार मैकेनिकल सिस्टम व आईटी, जीपीएस वगैराह लगाए जाएंगे। इन पर साढ़े सात करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे।

5. नगर सुधार न्यास की सबसे अच्छी कॉलोनियों में शामिल कृष्णा नगर, रंजीत नगर, जवाहर नगर, राजेंद्र नगर को मैकेनिकल सफाई में शामिल नहीं किया गया है। जबकि यहां चौड़ी सड़क व नालियां ठीक तरह से बनी हुई है। जबकि जिन इलाकों को मैकेनिकल सफाई में शामिल किया है। उनसमें कुछ में सड़क व नालियों तक का अभाव है।

6. विरोधी गुट का आरोप है कि जब कंपनी की सफाई व्यवस्था का ही अवलोकन करना तो एक ही कंपनी की सफाई व्यवस्था को देखने चंडीगढ़ क्यों ले जाया गया। जबकि अभी तक तो कोई टेंडर भी नहीं हुआ था।

मेयर बोले: विरोधियों कुछ न कुछ हित, मुझे साक्ष्य देने की जरुरत नहीं

पत्रिका ने जब विरोधी गुट के आरोपों को लेकर नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि मैंने व पार्षदों ने जब शपथ ली थी तो साफ लिखा था कि मेरे वार्ड या शहर को साफ रखना कर्तव्य है। उसी दिशा में काम कर रहा हूं। भ्रष्टाचार के आरोप कोईभी किसी पर लगा सकता है। बाकी विरोधियों का ही कुछ न कुछ हित होगा, जो कि कचरे के ढेर पर बैठे शहर की व्यवस्था को सुधारने से रोक रहे है। मैं खुद के खर्च पर इंदौर, भोपाल, अहमदाबाद आदि शहरों में घूमा हूं। अभी ठेका ही नहीं हुआ है तो आरोप लगाना भी मजाक है। प्रस्ताव के समर्थन में भी पार्षद है।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/the-interests-being-targeted-on-the-pretext-of-cleanliness-7095013/

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