मुरादों की दुकान’ देगी प्रभुजी को मुस्कान

भरतपुर. अपनों से बिछडक़र उनके दिल के अरमां आंसुओं में भीग गए हैं। वह ‘अपनों’ की याद भी बिसरा चुके हैं। बस उनकी स्मृति में कुछ है तो वह है ‘अपना घर’। ऐसे चेहरों पर मुस्कान सजाने के ‘अपना घर’ बहुतेरे जतन कर रहा है। इसी कड़ी में अपना घर ने ऐसे प्रभुजी की मन की मुराद पूरी करने के लिए ‘प्रभुजी कैफेटेरिया’ खोलने का निश्चय किया है। इसमें प्रभुजी अपने मन का खाना खा सकेंगे। प्रभु कैफेटेरिया खुलने का काम अब जल्द शुरू होगा।अपना घर में यूं तो प्रभुजी के लिए चाय-नाश्ता, भोजन एवं दवा अपना घर की ओर से प्रतिदिन मिलता है, लेकिन यदि किसी प्रभुजी का मन कुछ अलग खाने का होता है तो वह कैफेटेरिया के माध्यम से अपने मन की मुराद पूरी कर सकेगा। अमूमन ऐसे प्रभुजी को दाल-चपाती, चावल के अलावा फल भी मुहैया कराए जाते हैं, लेकिन इससे इतर कुछ खाने की इच्छा यदि एक प्रभुजी की होती है तो उसके लिए यह व्यवस्था मुमकिन नहीं हो पाती। वजह, सभी का खाना एक साथ बनता है। ऐसे में कई बार प्रभुजी मन मारकर रह जाते हैं। प्रभुजी अपने मन की चीज खाकर खुशी महसूस कर सकें। इसके लिए अपना घर प्रशासन ने यह कैफेटेरिया खोलने का निर्णय किया है।

जलेबी खाने की इच्छा ने दिया विचार को जन्म

अपना घर के संस्थापक डॉ. बी.एम. भारद्वाज बताते हैं कि कोरोना काल के समय एक महिला प्रभुजी ने उनसे जलेबी खाने की इच्छा व्यक्त की। कोरोना में सब कुछ बंद था। ऐसे में मरणासन्न अवस्था में पहुंची प्रभुजी की इच्छा पूरी करना अपना घर के लिए बड़ी चुनौती बन गई। इस पर डॉ. भारद्वाज ने डॉ. माधुरी भारद्वाज को यह बात बताई। इसके बाद डॉ. माधुरी ने यू-ट्यूब पर जलेबी बनाने की विधि देखकर प्रभुजी की जलेबी खाने की इच्छा पूरी की। डॉ. भारद्वाज बताते हैं कि इसी दिन प्रभुजी की सांसें साथ छोड़ गई। इसके बाद इस विचार ने जन्म लिया कि ऐसे प्रभुजी के लिए मन का खाने की व्यवस्था की जाए। अब इस पर काम शुरू कर कैफेटेरिया खोलने का निर्णय किया है।

होगी खुद की करेंसी, मिलेंगे 100 रुपए मासिक

अपना घर की ओर से खुलने जा रहे कैफेटेरिया में अपना घर की खुद की करेंसी चलेगी। इसमें प्रभुजी पर प्रतिमाह खर्च होने वाले 2400 रुपए की जगह बजट 2500 रुपए किया जा रहा है। नियमित खान-पान के अलावा यदि किसी प्रभुजी का मन अलग खाने का है तो वह अपने कोटे के मिलने वाले 100 रुपए में से कुछ पैसे खर्च कर कैफेटेरिया से खा सकेगा। अपना घर में चलने-फिरने योग्य प्रभुजी कैफेटेरिया तक पहुंचकर अपने मन का खा सकेंगे। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो चलने-फिरने में असक्षम हैं। ऐसे प्रभुजी के लिए मोबाइल फूड की व्यवस्था की गई है, जो प्रत्येक वार्ड में जाकर ऐसे प्रभुजी के लिए उनके मन का खाने का इंतजाम करेगी। ऐसी मोबाइल फूड बनाने के लिए 30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं, जो करीब-करीब बनकर तैयार है।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/shop-of-wishes-will-give-a-smile-to-prabhuji-7093257/

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