पुरातत्व विभाग: काम कुछ नहीं करते, लेकिन आपत्ति करने में आगे
भरतपुर. ऐतिहासिक सुजानगंगा नहर की सफाई की लंबे समय से हो रही मांग अब पूरी होने जा रही है। जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता की योजना के तहत अजमेर नगर निगम से किराए पर डिवाइडिंग मशीन ली गई है, जो कि शुक्रवार सुबह भरतपुर पहुंची। इस मशीन से सफाई कार्य भी शुरू कर दिया गया है। अब जल्द ही सुजान गंगा नहर में शहरवासी बोटिंग का आनंद उठा सकेंगे। इससे पहले नहर के प्रदूषित पानी को पूरी तरह से साफ किया जाएगा। इस पूरी योजना की देखरेख नगर निगम से ही होगी। सफाई का सारा कार्य मैकेनिकल तरीके से किया जाएगा। मशीन को चलाने पर रोज 15 हजार रुपए खर्च आएगा। इसके अलावा यूआईटी की ओर से करीब दो लाख रुपए से खरीदी गई दो नावें भरतपुर आ गई है। हालांकि काम शुरू होते ही पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए, उन्होंने बगैर स्वीकृति काम करने पर आपत्ति दर्ज कराई।
बताते हैं कि मशीन फ्लोटिंग मैटेरियल को क्लीन सिस्टम से खींचती है। मशीन की आगे की बूम पानी में दो फीट तक कचरा ले सकती है। इसके दोनों ओर पैदल व्हील होते हैं जो गियर एवं मशीन को मोडऩे का काम करते हैं। इस मशीन को सुजान गंगा में दो क्रेनों की मदद से उतारा गया। इस दौरान महापौर अभिजीत कुमार, एक्सईएन विनोद चौहान, पार्षद मुकेश कुमार, पार्षद शैलेष पाराशर, किशोर सैनी ने मशीन का निरीक्षण कर मशीन की कार्यप्रणाली को समझा।
मिट सकता है सुसाइड पॉइंट का दाग...
पिछले लंबे समय से सुजानगंगा नहर में आए दिन सुसाइड हो रही हैं। अब इसे सुसाइड पॉइंट बनती जा रही है। अगर यहां बोटिंग शुरू होती है तो चहल पहल भी बढ़ेगी। इससे सुसाइड केस में भी कमी आएगी।
विकास के नाम पर सिर्फ नोटिस...
हकीकत यह है कि पुरातत्व विभाग की ओर से आज तक कोई बड़ा प्रोजेक्ट सुजानगंगा या किले के विकास के लिए नहीं बनाया है। अगर कोई समाजसेवी या विभाग कार्य करना चाहे तो आपत्ति और नोटिस देने में आगे नजर आता है। यही कारण है कि विभाग के सही तरीके से काम नहीं करने के कारण सुजानगंगा में प्रदूषित पानी से लाखों मछलियों की मौत हो गई। किले में प्राचीन भवनों की हालत भी खराब हो चुकी है। पौधारोपण व सौंदर्यकरण के नाम पर खुद पुरातत्व विभाग लंबे समय से सिर्फ घोटाले ही कर रहा है।
source https://www.patrika.com/bharatpur-news/do-nothing-but-proceed-to-object-7137438/
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