इनके त्याग से रोशन उनकी जिंदगानी

भरतपुर. करवा चौथ का व्रत पौराणिक कथाओं के अनुसार पति की लंबी आयु के लिए पत्नियों की ओर से रखा जाता है। आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो अपने पति की लंबी आयु के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती हैं। ये दंपती के आपसी सामंजस्य और सहयोग को भी दर्शाता है, पढि़ए ऐसी ही कुछ कहानियां...

सात साल से पत्नी बन रही पति का साया

कमला रोड बासन गेट निवासी लोकेश मदान की कहानी भी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। वर्ष 2004 में ललिता मदान के साथ उनकी शादी हुई। करीब सात साल पहले वह मां गीता, भाई राकेश मदान व भाभी मधु मदान के साथ ग्वालियर से गुरुजी के दर्शन कर लौट रहे थे। रास्ते में भीषण एक्सीडेंट हुआ। इसमें मां का निधन हो गया। इसके बाद खुद लोकेश मदान भी सुध-बुध खो बैठे। उन्होंने बीमारी के चलते बेड पकड़ लिया। शरीर में खून का संचार रुक गया। दिमाग की नस में भी खून सूख गया। ऐसे में करीब एक साल तक दिल्ली, जयपुर के अलावा देश के कई नामी अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन सभी ने घर पर ही रखने की सलाह दी। वह तभी से घर पर ही हैं। सुबह से लेकर उनके सोने तक उनकी पत्नी ललिता मदान ही जिम्मा संभाल रही है। घर का खर्च उनके भाई सब्जी की आढ़त से चलाते हैं। ललिता कहती हैं कि वह भले ही सुबह से ही व्यस्त हो जाती हैं, लेकिन इस बात का कोई मलाल नहीं है। क्योंकि पति की सेवा भी तो कर्तव्य है। उनके दो बेटे गोपेश व माधव हैं।

15 साल से शांति को राम का सहारा

शहर के लक्ष्मण मंदिर के पास के रामबाबू गुप्ता शिक्षा विभाग में वरिष्ठ लिपिक के पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। वह काफी समय पहले परिवार के साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए गए थे। जहां से लौटते समय उनकी पत्नी शांति देवी गिरने से रीढ़ की हड्डी की समस्या हो गई। डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए कहा था, लेकिन उम्र अधिक होने के कारण ऑपरेशन नहीं हो सकता था। पति रामबाबू ही पत्नी का जिम्मा संभाल रहे हैं। वह सुबह से लेकर शाम तक पत्नी की सेवा में जुटे रहते हैं। उनका कहना था कि जरूरी नहीं है कि पत्नी ही पति की सेवा करे। यह तो समय और परिस्थितियां तय करती हैं कि आखिर किसे क्या काम करना है। इसी तरह पुराना लक्ष्मण मंदिर के पास रहने वाले लक्ष्मणप्रसाद गुप्ता सेवानिवृत व्याख्याता हैं। 20 साल से पत्नी उर्मिला के घुटनों से चलने-फिरने की समस्या। वे भी प्रतिदिन योग व्यायाम, घुमाना आदि कार्य स्वयं ही करते हैं।

सीमा ने पति के लिए समर्पित किया अपना जीवन

नदबई. कितने ही दुखों को सहन करते हुए विगत लंबे समय से अपने पति की बीमारी का इलाज कराते हुए तीन बेटियों का पालन पोषण कर उनको अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कटिबद्ध कस्बा नदबई की चंद्रा कॉलोनी निवासी सीमा गर्ग का विवाह 24 जनवरी 2008 को नदबई निवासी सुनील गर्ग के साथ हुआ। जिले के कस्बा सूरौठ निवासी सीमा गर्ग के परिवार की आर्थिक स्थिति उनके जन्म से पूर्व ही कठिन परिस्थितियों में थी। सात भाई बहनों के परिवार में दो भाई तथा तीन बहनों से बड़ी सीमा की 11 वर्ष की उम्र में ही उसके पिताजी का देहावसान हो गया। अभावों से ग्रसित परिवार पर पिता की मृत्यु के पश्चात दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। शादी के कुछ समय बाद ही सुनील को डिप्रेशन सहित कई बीमारियों ने घेर लिया। पति की दीर्घायु हेतु हरसंभव प्रयास करते हुए सीमा ने विगत सात वर्ष में भरतपुर सहित जयपुर के सभी प्रतिष्ठित चिकित्सकों से इलाज कराते हुए प्रति सप्ताह हजारों रुपए की दवाइयों का खर्चा वहन करते हुए कभी हार नहीं मानी है। उसकी तीन बेटियां भूमिका, नैना एवं कनिष्का हैं। हिम्मत न हारते हुए सीमा सिलाई का कार्य करते हुए अपने बीमार पति का इलाज और तीनों बेटियों को अच्छी शिक्षा हेतु दिन-रात मेहनत मजदूरी कर रही है।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/his-life-illuminated-by-his-sacrifice-7139018/

Comments

Popular posts from this blog

हवा भरने वाले कम्प्रेशर में ऐसा ब्लास्ट, करीब 60 फीट दूर जाकर गिरा दुकानदार, मौत

...कैबीनेट मंत्री की फर्जी डिजायर से भरतपुर की राजनीति में बड़ा भूचाल

बाइक समेत कुएं में जा गिरे ममेरे भाई, मौत