दलाली के दलदल में ड्राइवरी की दीक्षा
भरतपुर . परिवहन विभाग से कुशल चालक का प्रशिक्षण दलाली के दलदल में नजर आ रहा है। स्टेयरिंग भले ही दूसरे वाहन की हो, लेकिन कागजों में प्रशिक्षण दूसरा वाहन दे रहा है। ऐसे ड्राइविंग स्कूलों पर साहब की मेहरबानियां होने से यह नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं।
वीरभूमि स्कूल भी ऐसी ही मेहरबानियों के चलते बेधड़क कायदों को दरकिनार कर रहा है, लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद अब अधिकारी इसमें गली ढूंढते नजर आ रहे हैं। पूर्व में भरतपुर में निरीक्षक रहे पीआर मीना ने पत्नी के नाम यहां ड्राइविंग स्कूल खोला। इसमें शुरुआत में तो भारी वाहन यदा-कदा विभाग में जाता रहा, लेकिन इसके बाद वह कागजों में ही लोगों को प्रशिक्षण देता रहा। खास बात यह है कि वाहन कंडम होने के दौरान भी इससे सैकड़ों प्रमाण पत्र बांट दिए गए। वर्तमान में यह निरीक्षक दौसा जिले में जिला परिवहन अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। हालांकि विभाग इस मामले की जांच में जुट गया है।
चहेते पिता-पुत्र लगा रहे चूना
सूत्र बताते हैं वीरभूमि ड्राइविंग स्कूल मीना की पत्नी सुनीता के नाम से है, जो वर्तमान में भाजपा से जुड़ी हुई हैं। बताते हैं कि वह वर्तमान में पंचायत समिति चुनाव भी लड़ी हैं। खास बात यह है कि भरतपुर में इस स्कूल को उनके चहेते पिता-पुत्र कागजों में संचालित करते नजर आ रहे हैं। इन चहेतों की एक बस भी परिवहन विभाग में लगी हुई है, जो ड्राइविंग सिखाने का काम कर रही है और हर ट्रॉयल का विभाग से पैसा लिया जा रहा है। विभागीय मेहरबानियों के चलते विभाग के चहेते पिता-पुत्र ने शहर में वाहनों की बॉडी बनाने का भी लाइसेंस विभाग से ले लिया है। मेहरबानियों का सिलसिला महज भरतपुर तक सीमित नहीं हैं। यह पिता-पुत्र दौसा, धौलपुर एवं करौली जिलों तक में काम कराने का ठेका सीना ठोक कर ले रहे हैं। इसके एवज में लोगों से मोटी रकम भी वसूल रहे हैं। कई निरीक्षकों की भी कृपा इन पर बरस रही है। ऐसे में इनकी दलाली का काम चरम पर है। चूंकि ड्राइविंग स्कूल से लेकर फिटनेस सेंटर तक में परिवहन के अधिकारी-कर्मचारियों के परिजन व रिश्तेदारों की कब्जा है। ऐसे में उन पर कार्रवाई करने से भी विभाग के अधिकारी कतराते हैं। जांच के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है।
बस संचालक नाराज, फिर भी जारी कृपा
पिता-पुत्र की हद से ज्यादा दखंलदाजी से कई बस संचालक खासे आहत हैं, लेकिन कृपा के चलते वह कुछ नहीं कर पा रहे। ऐसे में बस संचालकों से चहेते कई मर्तबा डिमांड भी करते रहते हैं। खास बात यह है कि विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में चुनाव हो या अन्य कोई परीक्षा। यह चहेते हावी रहते हैं। विभागीय सूत्रों का दावा है कि यहां फर्जी लॉग सीट भी भरने का काम चल रहा है। जिले में पुत्र तय करता नजर आता है कि फलां बस कहां जाएगी। इससे बस संचालकों में खासी नाराजगी है। आजकल चालान शाखा में भी इनकी आवाजाही की चर्चा जोरों पर है।
चहेते सिखा रहे ड्राइवरी
आलम यह है कि जिले में परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के चहेते एवं रिश्तेदार ड्राइविंग स्कूल खोलकर लोगों को वाहन चलाने का प्रशिक्षण देते नजर आ रहे हैं। इसमें कई वाहन तो ऐसे हैं, जो सिर्फ कागजों में ही दौड़ रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि ऐसे भी वाहन हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन दो-दो जिलों में हो रहा है, लेकिन इन पर विभाग की नजर नहीं है। इससे पहले रवन्ना कटने पर ऐसा वाहन पकड़ में भी आ चुका है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होने से ऐसे स्कूल संचालक कागजों में बेफिक्र वाहनों को दौड़ा रहे हैं।
इनका कहना है...
मामले की जांच रिपोर्ट सोमवार को आएगी। इसमें ही पूरे तथ्य सामने आ सकेंगे। यदि किसी भी स्तर पर अनियमितता मिलती है तो उसके खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
-सतीश कुमार, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी
source https://www.patrika.com/bharatpur-news/initiation-of-driving-in-the-swamp-of-brokerage-7151315/
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