इंडिया गोट टेलेंट: मनुराज-दिव्यांश की बांसुरी की तान पर झूमा इंडिया

भरतपुर . एक टीवी चैनल पर प्रसारित इंडिया गोट टेलेंट में भरतपुरी बांसुरी की धुन पर मुंबई झूम उठा। वहीं लोग जयपुरी जलवे के भी कायल हुए। शो में भरतपुर के मनुराज और जयपुर के दिव्यांश की जोड़ी विनर रही है। दोनों ने सात प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए विनर का खिताब अपने नाम किया। रविवार को निर्णायकों ने उन्हें विजयी घोषित किया।
भरतपुर निवासी मनुराज और जयपुर निवासी दिव्यांश कचोलिया ने बीट बॉक्सिंग एवं बांसुरी के अद्भुत संगम के जरिए इंडिया गोट टेलेंट में अपने हुनर का लोहा मनवाया। दोनों प्रतिभाओं ने शो जीतने के साथ निर्णायकों का दिल भी जीता। पहले यह जोड़ी टॉप टेन में शुमार हुई। भरतपुर में गोपालगढ़ निवासी मनुराज सिंह राजपूत बांसुरी वादक हैं, जो अनेकों कार्यक्रम दे चुके हैं। मनुराज ने बताया कि प्रतिभागियों के बीच कड़े कॉम्पटीशन के बीच जजों ने उनके हुनर को खूब सराहा। इसका नतीजा यह रहा कि मनुराज एवं दिव्यांश की जोड़ी को हर शो में स्पेशल कमेंट मिला। शो में जज के रूप में गायक बादशाह, अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी एवं किरन खेर तथा गीतकार मनोज मुंतशिर रहे। शो में प्रस्तुति देने के दौरान कलाकार वोट मांगने भरतपुर भी आए थे। उल्लेखनीय है कि फिल्मकार रोहित शेट्टी ने अपनी आने वाली फिल्म में गायक बादशाह के साथ बैक ग्राउंड म्यूजिक थीम के लिए मनुराज एवं दिव्यांश की जोड़ी को चुना है।

20 लाख का चेक, दो मिलीं कार

शो के विजेता बनने पर मनुराज एवं दिव्यांश की जोड़ी को चैनल की ओर से 20 लाख रुपए का चेक एवं दोनों को दो कार दी गई हैं। मनुराज ने बताया कि राशि दोनों कलाकारों को समान रूप से मिलेगी। वहीं दो कार अलग-अलग दी गई हैं।

एक समय खाया खाना, दोस्तों से लिया उधार

शो के विनर बने मनुराज बताते हैं कि यह यहां तक पहुंचने का रास्ता कतई सहज नहीं था। दस साल की उम्र से मैंने इसकी बारीकियां सीखना शुरू कर दिया। मनुराज ने बताया कि मेरी मां स्कूल में लेक्चरर थीं, जिन्हें गाने का खूब शौक था। मां मंदिरों में कीर्तन के दौरान गाती-बजाती थीं और गुरुजी के पास सीखने जाती थीं। मैं भी उनके साथ जाता और घर पर उनके साथ अभ्यास में भी बैठता। इस दौरान मेरा रुझान बांसुरी की ओर बढ़ गया। इस दौरान परिजनों ने मुझे इंजीनियरिंग कराने जयपुर भेज दिया, लेकिन मेरा मन बांसुरी में ही रमा रहा। मनुराज ने बताया कि प्रोफेशनल फ्लूड खरीदने को मेरे पास पैसे नहीं थे। घर से मुझे महज एक हजार रुपए मिलते थे, लेकिन बांसुरी वर्ष 2006 में करीब 3 हजार रुपए की आ रही थी। इसके लिए मैंने मोबाइल शॉप पर जॉब किया। दो माह की जॉब से 2900 रुपए कमाए, लेकिन बांसुरी तीन हजार की थीं। ऐसे में मैंने जयपुर रहकर एक समय ही खाना शुरू किया और पैसे बचाए और बांसुरी खरीद ली। यह मेरी जिंदगी का सबसे खास दिन था।

जारी रही गुरुजी की खोज

मनुराज बताते हैं कि बांसुरी लेने के बाद बेहतर ज्ञान के लिए गुरुजी की खोज जारी रही। जयपुर में एक कार्यक्रम में मुझे संदीप सोनी मिले। उन्होंने मुझे आगे का रास्ता दिखाया। मैं दिल्ली गया और यहां गुरुजी से इसकी शिक्षा ली। इसके लिए जयपुर से दिल्ली तक अपडाउन किया। इस बीच घर वालों से जयपुर रहने की ही झूठ बोलता रहा। इसके बाद वर्ष 2009 में मुंबई में गुरुजी चौरसिया के पास गया और गुरुकुल में रहने की इच्छा जाहिर की, लेकिन यहां वृंदावन गुरुकुल में एडमिशन नहीं मिला। फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। गुरुकुल में पढऩे वाले विद्यार्थियों से कुछ बारीकियां सीखीं। इसके बाद गुरुजी ने मुझे प्रवेश दिया। हर रोज आठ से दस घंटे की प्रेक्टिस ने मुझे संवारा और मेरे सपनों ने यहां से उड़ान भरी।

बिना टिकट भी पकड़ा गया

मनुराज ने बताया कि जयपुर से मुंबई जाने के लिए कई बार पैसे नहीं होते थे। घर वालों से ज्यादा पैसे नहीं मांग सकता था। ऐसे में कई बार ट्रेन में बिना टिकट यात्रा भी की। एकाध बार पकड़ा भी गया, लेकिन हौसले टूटे नहीं। गुरुकुल में प्रवेश के बाद रहना-खाना फ्री हो गया तो राहत मिल गई। इसके बाद मनुराज ने कपिल शर्मा शो और दिल है हिन्दुस्तानी में अपनी प्रस्तुति से छाप छोड़ी, लेकिन मेरे मन में यह टीस रही कि अब तक वह मुकाम नहीं मिला, जिसे मैं चाहता था। वजह, अब तक बांसुरी प्लेयर की पहचान कहीं छिपी थी। ऐसे में मैंने इंडिया गोट टेलेंट में भाग्य आजमाया और यहां विनर रहे। अब लोगों को लग सकता है कि बांसुरी में भी कैरियर बनाया जा सकता है।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/india-dances-to-the-beat-of-manuraj-divyansh-s-flute-7476421/

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