एसी कमरों से निकलें अफसर तो पता चले सड़कों की हालत

भरतपुर. किसी स्थान के लिए संभाग का दर्जा मिलना गौरव की बात होती है। मगर दर्जे के साथ संभाग जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराना सरकार का काम है। भरतपुर को संभाग का दर्जा मिले लंबा समय हो गया, मगर शहर के हालात आज भी गांव से बदतर है। यहां होने वाले विकास कार्यों की कछुआ चाल ने आमजन की परेशानी बढ़ा दी है। शहर की मुख्य सड़कों को देखकर लगता है कि यह किसी गांव की सड़क है। गली-मोहल्लों में तो स्थिति और भी खराब है। हां, इतना विकास जरूर हुआ है कि यदि किसी नेता या बड़े सरकारी अफसर के आगमन की सूचना हो तो यहां की सड़के रातों-रात बन जाती हैं। मगर आश्चर्य की बात है कि लंबे समय से खराब पड़ी हीरादास से सरसों अनुसंधान तक करीब दो किलोमीटर की सड़क बनने का नाम ही नहीं ले रही। इससे जिम्मेदारों की शिथिल कार्यप्रणाली का पता लगाया जा सकता है। हकीकत यह है कि जिला प्रशासन हो या नगर निगम व यूआईटी के अधिकारी-कर्मचारी। खराब सड़कों की हालत देखने के लिए वह भीषम गर्मी के बीच एसी कमरों से निकलने में कतरा रहे हैं। ऐसे में खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।

डामर के स्थान पर बन रही सीसी

पहले यह सड़क डामर की थी। मगर अब इसे यूआइटी के जरिए करीब 4.5 करोड़ की लागत से सीसी रोड बनाया जा रहा है। इस सड़क का निर्माण कार्य नवम्बर 2021 में शुरू हुआ था, लेकिन करीब पांच माह बीतने को हैं और सड़क का निर्माण कार्य 25 फीसदी भी नहीं हो सका है। हालांकि निर्माण में देरी के चलते संवेदक को कई बार नोटिस देकर कार्य शीघ्र पूरा करने की हिदायत भी दी है। मगर इसके बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

वन-वे ट्रेफिक से दुर्घटनाओं की आशंका

सीसी रोड के निर्माण कार्य की शुरुआत सरसों अनुसंधान की तरफ से की गई है। सीमेंट की बनी सड़क के हिस्से पर मिट्टी डाली हुई है। वहीं खराब सड़क पर गिट्टियां बिखरी होने से अधिकांश बाइक सवार फिसलकर चोटिल हो जाते हैं। इससे बचने के लिए दोपहिया व चौपहिया वाहन चालक गलत दिशा में अपने वाहनों को चलाते हैं।ऐसे में गलत दिशा में चलने से भी दुर्घटनाओं की आशंका बनी हुई है।

ये बोले स्थानीय लोग

- सड़क पर दिनभर धूल के गुबार उड़ते रहते हैं। भीषण गर्मी में धूल उड़कर दुकानों में आ रही है। ऐसे में दुकानों पर बैठना भी मुश्किल हो रहा है।
नंदन तिवारी, दुकानदार

- दुकान पर धूल के कारण बैठना मुश्किल हो रहा है। वहीं कई बार फिसलकर गिरने वाले वाहन चालकों को उठाना भी होता है। निर्माण कार्य धीमी गति से हो रहा है।
गोकुलेश कटारा, दुकानदार

- खराब सड़क पर दिनभर उडऩे वाली धूल घरों में घुसती है। ऐसे में घरों में रहना भी मुश्किल हो रहा है। अस्थमा के मरीजों और बुजुर्गों को इससे खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
लल्लू शर्मा, स्थानीय निवासी

- जर्जर सड़क पर खासकर दोपहिया वाहन से गुजरना मुश्किल हो गया है। कई बार बाइक असंतुलित होकर गिर जाती है। इससे बाइक सवार चोटिल हो जाते हैं।
नीरज, राहगीर



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/if-the-officers-come-out-of-the-ac-rooms-then-they-will-know-7495807/

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