सवा करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपियों को ऐसे बचा रहे अफसर...

भरतपुर. अनुजा (अनुसूचित जाति) निगम कार्यालय में करीब एक साल पहले सामने आए करीब सवा करोड़ रुपए से अधिक का घोटाले का मामला अब तक पहेली बना हुआ है। क्योंकि जहां पहले भी दोषियों को बचाने की कोशिश की जाती रही है तो अब गबन की राशि वसूल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सोमवार को कलक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीराम बैरवा के सामने यह मामला सामने आया तो उन्होंने अधिकारियों को लताड़ लगाई। साथ ही निर्देश दिए कि दोषियों के मकान, दुकान जो भी प्रोपर्टी हो, उन्हें कुर्क करने की कार्रवाई की जाए। ताकि गबन की राशि वसूल की जा सके। उन्होंने अनुजा निगम भरतपुर में हुए राजकीय धन के गबन के प्रकरण में राशि वसूली के लिए कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए।
बैठक में अध्यक्ष बैरवा ने कहा कि आयोग राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप अनुसूचित जाति के लोगों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने, न्याय दिलाने एवं उनके हितों की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि जिस दिन अनुसूचित जाति के व्यक्ति पर अत्याचार संबंधी प्राथमिकी दर्ज हो तो उसी दिन उसके गवाहों के बयान दर्ज किए जाएं। इससे प्रकरण की वास्तविकता सामने आ सके एवं स्थिति बरकरार रहे। उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि वे अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के प्रति मानसिकता में बदलाव लाएं। इससे समाज में समरसता, आपसी सौहार्द एवं भाईचारा बना रह सके। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की यह मंशा है कि अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं गरीब लोगों को तत्काल न्याय मिले। इससे उन्हें राहत मिले। आयोग के अध्यक्ष बैरवा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि केंद्र एवं राज्य सरकार की जनयोजनाओं में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को प्राथमिकता से ऋ ण स्वीकृत कर भुगतान करें। उन्होंने तहसीलदार भरतपुर को निर्देश दिए कि अनुसूचित जाति से संबंधित प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण कर राहत दें। उन्होंने आजीविका मिशन के तहत निर्मित स्वयं सहायता समूहों में एससी वर्ग के कितने गु्रप लीडर हैं, उनकी रिपोर्ट तत्काल भिजवाएं। उन्होंने कृषि विभाग के उपनिदेशक को निर्देश दिए कि कृषि विभाग की योजना का लाभ अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को निर्धारित लक्ष्य के अनुसार लाभान्वित कराए। उन्होंने नगर निगम के सचिव को निर्देश दिए कि नगर निगम में सफाई कर्मचारी के पद पर भर्ती हुए लोगों से केवल सफाई कार्य ही कराया जाए। उनसे अन्य पद का कार्य नहीं लिया जाए। बैठक में जिला कलक्टर आलोक रंजन ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के आवेदनों को अस्वीकृत करते समय बैंकर्स निरस्ती के कारण भी स्पष्ट करें। बैठक में एसपी श्याम सिंह, जिला परिषद के सीईओ सुशील कुमार, एडीएम शहर रघुनाथ खटीक, डीएसओ सुभाषचंद गोयल, डीआईसी के महाप्रबंधक बीएल मीना, सीएमएचओ डॉ. सुनील शर्मा, कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मपाल सिंह आदि उपस्थित थे।

खिलाड़ी बोले...धारीवाल कौन है बयान देने वाले

राज्य एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता शांतिलाल धारीवाल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस में सब कुछ हाईकमान तय करते हैं। हाइकमान जो तय करेगा, वही आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा होगा। बैरवा ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व ने लड़ा जाएगा यह फैसला करने का अधिकार आलाकमान का है। धारीवाल कौन होते हैं ये बयान देने वाले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में हर फैसला हाईकमान करते हैं। हाईकमान जो तय करेंगे वही मुख्यमंत्री का फेस होगा। धारीवाल हाईकमान के अधिकार का अधिग्रहण नहीं कर सकते। बैरवा के सामने नगर निगम के महापौर अभिजीत कुमार ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हमें एक हजार करोड़ का फंड नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि उस फंड की कोई उपयोगिता नहीं दलित पर खर्च ही न हो। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि दलितों की एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती। जिन दलित महिलाओं के साथ अत्याचार होता है उनको पुलिस थाने में जिल्लत झेलनी पड़ती है। मेयर ने कहा कि इसलिए ही कांग्रेस से दलित छिटक रहा है।

यह है गबन का पूरा मामला

अनुजा (अनुसूचित जाति) निगम में कार्यरत एक कर्मचारी की ओर से वर्ष 2019 में करीब 20 लाख रुपए की राशि के गबन का मामला एक साल पहले सामने आया था। परियोजना प्रबंधक भावना राघव गुर्जर ने आरोपी कर्मचारी अतुल कुमार फौजदार के विरुद्ध पुलिस थाना मथुरा गेट में नामजद मामला दर्ज कराया था। इसके बाद हुई जांच में सामने आया था कि अनुसूचित जाति-जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम में 1.32 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। निगम के ही कैशियर ने खुद, अपनी मां और चार अन्य रिश्तेदारों के खातों में बिना बिल वाउचर के 25 चेक जमा करवाकर यह राशि ट्रांसफर कर ली। कैशियर के खिलाफ दो एफआइआर 8.67 लाख रुपए व 50.48 लाख रुपए सहित कुल 59.16 लाख के गबन की दर्ज कराई गई। इसमें से 8.67 लाख रुपए के गबन के एक मामले में कैशियर अतुल कुमार फौजदार गिरफ्तार भी हो गया। लेकिन, बाकी दोषियों को अब तक बचाया जाता रहा है। यह 1.32 करोड़ रुपए की राशि अनुसूचित जाति-जनजाति के बेरोजगार युवाओं को दिए गए लोन की रिकवरी की थी। यह पैसा निगम के जयपुर मुख्यालय को जाना था।

विभागीय जांच में इन अफसरों को माना था दोषी

विभागीय जांच में निगम की परियोजना प्रबंधक आरएएस भावना राघव गुर्जर, पूर्व परियोजना प्रबंधक पूरन सिंह और कनिष्ठ लेखाकार सुनील कुमार गुप्ता को भी दोषी मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इन पर आरोप था कि इन्होंने बैंकों से राशि मिलान का काम नहीं किया। बल्कि गबन करने वाले कैशियर और उसके परिजन एवं रिश्तेदारों के खातों में राशि ट्रांसफर से संबंधित पत्रों पर हस्ताक्षर करते रहे। हालांकि बाद में इस जांच रिपोर्ट को लेकर भी कथित दोषियों के बीच विरोधाभास बना रहा।



source https://www.patrika.com/bharatpur-news/such-officers-are-protecting-the-accused-of-scam-of-rs-7506653/

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